मेरा नाम आशा है । मेरा छोटा भाई दसवी मैं पढ़ता है । वह गोरा चिट्टा और करीब मेरे ही बराबर लम्बा भी है । मैं इस समय १९ की हूँ और वह १५ का । मुझे भैय्या के गुलाबी होंठ बहूत प्यारे लगते हैं । दिल करता है कि बस चबा लूं । पापा गल्फ़ में है और माँ गवर्नमेंट जोब में । माँ जब जोब की वजह से कहीं बाहर जाती तो घर मैं बस हम दो भाई बहन ही रह जाते थे । मेरे भाई का नाम अमित है और वह मुझे दीदी कहता है । एक बार मान कुछ दिनों के लिये बाहर गयी थी । उनकी इलेक्शन ड्यूटी लग गयी थी । माँ को एक हफ़्ते बाद आना था । रात मैं डिनर के बाद कुछ देर टी वी देखा फ़िर अपने-अपने कमरे मैं सोने के लिये चले गये।
करीब एक आध घण्टे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गयी । अपनी सीधे टेबल पर बोटल देखा तो वह खाली थी । मैं उठ कर किचन मैं पानी पीने गयी तो लौटते समय देखा कि अमित के कमरे की लाइट ओन थी और दरवाज़ा भी थोड़ा सा खुला था । मुझे लगा कि शायद वह लाइट ओफ़ करना भूल गया है मैं ही बन्द कर देती हूँ । मैं चुपके से उसके कमरे में गयी लेकिन अन्दर का नजारा देखकर मैं हैरान हो गयी ।
अमित एक हाथ मैं कोई किताब पकड़ कर उसे पढ़ रहा था और दूसरा हाथ से अपने तने हुए लण्ड को पकड़ कर मुठ मार रहा था । मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि इतना मासूम लगने वाला दसवी का यह छोकरा ऐसा भी कर सकता है । मैं दम साधे चुपचाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही, लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया । उसने मेरी तरफ़ मुँह फेरा और दरवाजे पर मुझे खड़ा देखकर चौंक गया। वह बस मुझे देखता रहा और कुछ भी ना बोल पाया । फिर उसने मुँह फ़ेर कर किताब तकिये के नीचे छुपा दी । मुझे भी समझ ना आया कि क्या करूं । मेरे दिल मैं यह ख्याल आया कि कल से यह लड़का मुझसे शर्मायेगा और बात करने से भी कतरायेगा । घर मैं इसके अलावा और कोई है भी नहीं जिससे मेरा मन बहलता । मुझे अपने दिन याद आये। मैं और मेरा एक कज़िन इसी उमर के थे जब से हमने मज़ा लेना शुरू किया था तो इसमें कौन सी बड़ी बात थी अगर यह मुठ मार रहा था ।
मैं धीरे-धीरे उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गयी। वह चुपचाप लेटा रहा । मैंने उसके कंधो को दबाते हुई कहा, “अरे यार अगर यही करना था तो कम से कम दरवाज़ा तो बन्द कर लिया होता” । वह कुछ नहीं बोला, बस मुँह दूसरी तरफ़ किये लेटा रहा । मैंने अपने हाथों से उसका मुँह अपनी तरफ़ किया और बोली “अभी से ये मज़ा लेना शुरू कर दिया। कोई बात नहीं मैं जाती हूँ तो अपना मज़ा पूरा कर ले। लेकिन जरा यह किताब तो दिखा। मैंने तकिये के नीचे से किताब निकाल ली। यह हिन्दी मैं लिखे मस्तराम की किताब थी। मेरा कज़िन भी बहूत सी मस्तराम की किताबें लाता था और हम दोनों ही मजे लेने के लिये साथ-साथ पढ़ते थे। चुदाई के समय किताब के डायलोग बोल कर एक दूसरे का जोश बढ़ाते थे।
जब मैं किताब उसे देकर बाहर जाने के लिये उठी तो वह पहली बार बोला, “दीदी सारा मज़ा तो आपने खराब कर दिया, अब क्या मज़ा करुंगा।
“अरे! अगर तुमने दरवाज़ा बन्द किया होता तो मैं आती ही नहीं।
“और अगर आपने देख लिया था तो चुपचाप चली जाती।
अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तो आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह कज़िन करीब ६ मंथ्स से नहीं आया था इसलिये मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी। अमित मेरा छोटा भाई था और बहूत ही सेक्सी लगता था इसलिये मैंने सोचा कि अगर घर में ही मज़ा मिल जाये तो बाहर जाने की क्या जरूरत? फिर अमित का लौड़ा अभी कुंवारा था। मैं कुँवारे लण्ड का मज़ा पहली बार लेती, इसलिये मैंने कहा, “चल अगर मैंने तेरा मज़ा खराब किया है तो मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ। फिर मैं पलंग पर बैठ गयी और उसे चित लिटाया और उसके मुर्झाये लण्ड को अपनी मुट्ठी में लिया। उसने बचने की कोशिश की पर मैंने लण्ड को पकड़ लिया था। अब मेरे भाई को यकीन हो चुका था कि मैं उसका राज नहीं खोलूंगी, इसलिये उसने अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं उसका लण्ड ठीक से पकड़ सकूँ। मैंने उसके लण्ड को बहूत हिलाया-डूलाया लेकिन वह खड़ा ही नहीं हुआ। वह बड़ी मायूसी के साथ बोला “देखा दीदी अब खड़ा ही नहीं हो रहा है।
“अरे! क्या बात करते हो? अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है। मैं अभी अपने प्यारे भाई का लण्ड खड़ा कर दूंगी। ऐसा कह मैं भी उसके बगल में ही लेट गयी। मैं उसका लण्ड सहलाने लगी और उससे किताब पढ़ने को कहा। “दीदी मुझे शर्म आती है। “साले अपना लण्ड बहन के हाथ में देते शर्म नहीं आयी। मैंने ताना मारते हुए कहा “ला मैं पढ़ती हूँ। और मैंने उसके हाथ से किताब ले ली । मैंने एक स्टोरी निकाली जिसमे भाई बहन के डायलोग थे। और उससे कहा, “मैं लड़की वाला बोलूँगी और तुम लड़के वाला। मैंने पहले पढ़ा, “अरे राजा मेरी चूचियों का रस तो बहूत पी लिया अब अपना बनाना शेक भी तो टेस्ट कराओ” ।
“अभी लो रानी पर मैं डरता हूँ इसलियेकि मेरा लण्ड बहूत बड़ा है, तुम्हारी नाजुक कसी चूत में कैसे जायेगा?
और इतना पढ़कर हम दोनों ही मुस्करा दिये क्योंकि यह हालत बिलकुल उलटे थे। मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी चूत बड़ी थी और उसका लण्ड छोटा था। वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी पढ़ायी के बाद ही उसके लण्ड मैं जान भर गयी और वह तन कर करीब ६ इँच का लम्बा और १५ । इँच का मोटा हो गया। मैंने उसके हाथ से किताब लेकर कहा, “अब इस किताब की कोई जरूरत नहीं । देख अब तेरा खड़ा हो गया है । तो बस दिल मैं सोच ले कि तू किसी की चोद रहा है और मैं तेरी मु्ठ मार देती हूँ” ।
मैं अब उसके लण्ड की मु्ठ मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था । बीच बीच मैं सिस्कारियां भी भरता था । एकाएक उसने चूतड़ उठा कर लण्ड ऊपर की ओर ठेला और बोला, “बस दीदी” और उसके लण्ड ने गाढ़ा पानी फेंक दिया जो मेरी हथेली पर गिरा । मैं उसके लण्ड के रस को उसके लण्ड पर लगाती उसी तरह सहलाती रही और कहा, “क्यों भय्या मज़ा आया”
“सच दीदी बहूत मज़ा आया” । “अच्छा यह बता कि ख़्यालों मैं किसकी ले रहे थे?” “दीदी शर्म आती है । बाद मैं बताऊँगा” । इतना कह उसने तकिये मैं मुँह छुपा लिया ।
“अच्छा चल अब सो जा नींद अच्छी आयेगी । और आगे से जब ये करना हो तो दरवाज़ा बन्द कर लिया करना” । “अब क्या करना दरवाज़ा बन्द करके दीदी तुमने तो सब देख ही लिया है” ।
“चल शैतान कहीं के” । मैंने उसके गाल पर हलकी सी चपत मारी और उसके होंठों को चूमा । मैं और किस करना चाहती थी पर आगे के लिये छोड़ कर वापस अपने कमरे में आ गयी । अपनी सलवार कमीज उतार कर नाइटी पहनने लगी तो देखा कि मेरी पैंटी बुरी तरह भीगी हुयी है । अमित के लण्ड का पानी निकालते-निकालते मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था । अपना हाथ पैंटी मैं डालकर अपनी चूत सहलाने लगी ऊंगलियों का स्पर्श पाकर मेरी चूत फ़िर से सिसकने लगी और मेरा पूरा हाथ गीला हो गया । चूत की आग बुझाने का कोई रास्ता नहीं था सिवा अपनी उँगली के । मैं बेड पर लेट गयी । अमित के लण्ड के साथ खेलने से मैं बहूत एक्साइटिड थी और अपनी प्यास बुझाने के लिये अपनी बीच वाली उँगली जड़ तक चूत मैं डाल दी । तकिये को सीने से कसकर भींचा और जान्घों के बीच दूसरा तकीया दबा आंखे बन्द की और अमित के लण्ड को याद करके उँगली अन्दर बाहर करने लगी । इतनी मस्ती चढ़ी थी कि क्या बताये, मन कर रहा था कि अभी जाकर अमित का लण्ड अपनी चूत मैं डलवा ले । उँगली से चूत की प्यास और बढ़ गयी इसलिये उँगली निकाल तकिये को चूत के ऊपर दबा औन्धे मुँह लेट कर धक्के लगाने लगी । बहुत देर बाद चूत ने पानी छोड़ा और मैं वैसे ही सो गयी ।
सुबह उठी तो पूरा बदन अनबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था । लाख रगड़ लो तकिये पर लेकिन चूत मैं लण्ड घुसकर जो मज़ा देता है उसका कहना ही क्या । बेड पर लेटे हुए मैं सोचती रही कि अमित के कुँवारे लण्ड को कैसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया जाये । फिर उठ कर तैयार हुयी । अमित भी स्कूल जाने को तैयार था । नाश्ते की टेबल हम दोनों आमने-सामने थे । नजरें मिलते ही रात की याद ताजा हो गयी और हम दोनों मुस्करा दिये । अमित मुझसे कुछ शर्मा रहा था कि कहीं मैं उसे छेड़ ना दूँ । मुझे लगा कि अगर अभी कुछ बोलूँगी तो वह बिदक जायेगा इसलिये चाहते हुई भी ना बोली ।
चलते समय मैंने कहा, “चलो आज तुम्हे अपने स्कूटर पर स्कूल छोड़ दूँ” । वह फ़ौरन तैयार हो गया और मेरे पीछे बैठ गया । वह थोड़ा सकुचाता हुआ मुझसे अलग बैठा था । वह पीछे की स्टेपनी पकड़े था । मैंने स्पीड से स्कूटर चलाया तो उसका बैलेंस बिगड़ गया और सम्भालने के लिये उसने मेरी कमर पकड़ ली । मैं बोली, “कसकर पकड़ लो शर्मा क्यों रहे हो?”
“अच्छा दीदी” और उसने मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे चिपक सा गया । उसका लण्ड खड़ा हो गया था और वह अपनी जान्घों के बीच मेरे चूतड़ को जकड़े था ।
“क्या रात वाली बात याद आ रही है अमित”
“दीदी रात की तो बात ही मत करो । कहीं ऐसा ना हो कि मैं स्कूल मैं भी शुरू हो जाऊँ” । “अच्छा तो बहूत मज़ा आया रात में”
“हाँ दीदी इतना मज़ा जिन्दगी मैं कभी नहीं आया । काश कल की रात कभी खत्म ना होती । आपके जाने के/की बाद मेरा फ़िर खड़ा हो गया था पर आपके हाथ मैं जो बात थी वो कहाँ । ऐसे ही सो गया” ।
“तो मुझे बुला लिया होता । अब तो हम तुम दोस्त हैं । एक दूसरा के काम आ सकते हैं” ।
“तो फ़िर दीदी आज राख का प्रोग्राम पक्का” ।
“चल हट केवल अपने बारे मैं ही सोचता है । ये नहीं पूछता कि मेरी हालत कैसी है? मुझे तो किसी चीज़ की जरूरत नहीं है? चल मैं आज नहीं आती तेरे पास।
“अरे आप तो नाराज हो गयी दीदी । आप जैसा कहेंगी वैसा ही करुंगा । मुझे तो कुछ भी पता नहीं अब आप ही को मुझे सब सिखाना होगा” ।
तब तक उसका स्कूल आ गया था । मैंने स्कूटर रोका और वह उतरने के बाद मुझे देखने लगा लेकिन मैं उस पर नज़र डाले बगैर आगे चल दी । स्कूटर के शीशे मैं देखा कि वह मायूस सा स्कूल में जा रहा है । मैं मन ही मन बहूत खुश हुयी कि चलो अपने दिल की बात का इशारा तो उसे दे ही दिया ।
शाम को मैं अपने कालेज से जल्दी ही वापस आ गयी थी । अमित २ बजे वापस आया तो मुझे घर पर देखकर हैरान रह गया । मुझे लेटा देखकर बोला, “दीदी आपकी तबीयत तो ठीक है?” “ठीक ही समझो, तुम बताओ कुछ होमवर्क मिला है क्या” “दीदी कल सण्डे है ही । वैसे कल रात का काफी होमवर्क बचा हुआ है” । मैंने हंसी दबाते हुए कहा, “क्यों पूरा तो करवा दिया था । वैसे भी तुमको यह सब नहीं करना चाहिये । सेहत पर असर पढ़ता है । कोई लड़की पटा लो, आजकल की लड़कियाँ भी इस काम मैं काफी इंटेरेस्टेड रहती हैं” । “दीदी आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे लड़कियाँ मेरे लिये सलवार नीचे और कमीज ऊपर किये तैयार है कि आओ पैंट खोलकर मेरी ले लो” । “नहीं ऐसी बात नहीं है । लड़की पटानी आनी चाहिये” ।
फिर मैं उठ कर नाश्ता बनाने लगी । मन मैं सोच रही थी कि कैसे इस कुँवारे लण्ड को लड़की पटा कर चोदना सिखाऊँ? लंच टेबल पर उससे पूछा, “अच्छा यह बता तेरी किसी लड़की से दोस्ती है?”
“हाँ दीदी सुधा से” ।
“कहाँ तक”
“बस बातें करते हैं और स्कूल मैं साथ ही बैठते हैं” ।
मैंने सीधी बात करने के लिये कहा, “कभी उसकी लेने का मन करता है?”
“दीदी आप कैसी बात करती हैं” । वह शर्मा गया तो मैं बोली, “इसमे शर्माने की क्या बात है । मुट्ठी तो तो रोज मारता है । ख़्यालों मैं कभी सुधा की ली है या नहीं सच बता” । “लेकिन दीदी ख़्यालों मैं लेने से क्या होता है” । “तो इसका मतलब है कि तो उसकी असल में लेना चाहता है” । मैंने कहा ।
“उससे ज्यादा तो और एक है जिसकी मैं लेना चाहता हूँ, जो मुझे बहूत ही अच्छी लगती है” । “जिसकी कल रात ख़्यालों मैं ली थी” उसने सर हिलाकर हाँ कर दिया पर मेरे बार-बार पूछने पर भी उसने नाम नहीं बताया । इतना जरूर कहा कि उसकी चूदाई कर लेने के बाद ही उसका नाम सबसे पहले मुझे बतायेगा । मैंने ज्यादा नहीं पूछा क्योंकि मेरी चूत फ़िर से गीली होने लगी थी । मैं चाहती थी कि इससे पहले कि मेरी चूत लण्ड के लिये बेचैन हो वह खुद मेरी चूत मैं अपना लण्ड डालने के लिये गिड़गिड़ाये। मैं चाहती थी कि वह लण्ड हाथ में लेकर मेरी मिन्नत करे कि दीदी बस एक बार चोदने दो । मेरा दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था इसलिये बोली, “अच्छा चल कपड़े बदल कर आ मैं भी बदलती हूँ” ।
वह अपनी यूनीफोर्म चेंज करने गया और मैंने भी प्लान के मुताबिक अपनी सलवार कमीज उतार दी । फिर ब्रा और पैंटी भी उतार दी क्योंकि पटाने के मदमस्त मौके पर ये दिक्कत करते । अपना देसी पेटीकोट और ढीला ब्लाउज़ ही ऐसे मौके पर सही रहते हैं । जब बिस्तर पर लेटो तो पेटीकोट अपने/अपनी आप आसानी से घुटने तक आ जाता है और थोड़ी कोशिश से ही और ऊपर आ जाता है । जहाँ तक ढीलें ब्लाउज़ का सवाल है तो थोड़ा सा झुको तो सारा माल छलक कर बाहर आ जाता है । बस यही सोच कर मैंने पेटीकोट और ब्लाउज़ पहना था ।
वह सिर्फ़ पायजामा और बनियान पहनकर आ गया । उसका गोरा चित्त चिकना बदन मदमस्त करने वाला लग रहा था । एकाएक मुझे एक आइडिया आया । मैं बोली, “मेरी कमर मैं थोड़ा दर्द हो रहा है जरा बाम लगा दे” । यह बेड पर लेटने का पर्फेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी । मैंने पेटीकोट थोड़ा ढीला बांधा था इस लिये लेटते ही वह नीचे खिसक गया और मेरी बीच की दरार दिखाये देने लगी । लेटते ही मैंने हाथ भी ऊपर कर लिये जिससे ब्लाउज़ भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करने के लिये ज्यादा जगह मिल गयी । वह मेरे पास बैठ कर मेरी कमर पर (आयोडेक्स पैन बाम) लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा । उसका स्पर्श (तच) बड़ा ही सेक्सी था और मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी । थोड़ी देर बाद मैंने करवट लेकर अमित की और मुँह कर लिया और उसकी जान्घ पर हाथ रखकर ठीक से बैठने को कहा । करवट लेने से मेरी चूचियों ब्लाउज़ के ऊपर से आधी से ज्यादा बाहर निकाल आयी थी । उसकी जान्घ पर हाथ रखे रखे ही मैंने पहले की बात आगे बढ़ाई, “तुझे पता है कि लड़की कैसे पटाया जाता है?”
“अरे दीदी अभी तो मैं बच्चा हूँ । यह सब आप बतायेंगी तब मालूम होगा मुझे” । आयोडेक्स लगने के दौरान मेरा ब्लाउज़ ऊपर खींच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलाइयाँ नीचे से भी झांक रही थी । मैंने देखा कि वह एकटक मेरी चूचियों को घूर रहा है । उसके कहने के अन्दाज से भी मालूम हो गया कि वह इस सिलसिले मैं ज्यादा बात करना चाह रहा है।
“अरे यार लड़की पटाने के लिये पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है, ये मालूम करने के लिये कि वह बूरा तो नहीं मानेगी” । “पर कैसे दीदी” । उसने पूछा और अपने पैर ऊपर किये । मैंने थोड़ा खिसक कर उसके लिये जगह बनायी और कहा, “देख जब लड़की से हाथ मिलाओ तो उसको ज्यादा देर तक पकड़ कर रखो, देखो कब तक नहीं छुटाती है । और जब पीछे से उसकी आँख बन्द कर के पूछों कि मैं कौन हूँ तो अपना केला धीरे से उसके पीछे लगा दो । जब कान मैं कुछ बोलो तो अपना गाल उसके गाल पर रगड़ दो । वो अगर इन सब बातों का बूरा नहीं मानती तो आगे की सोचों” ।
अमित बड़े ध्यान से सुन रहा था । वह बोला, “दीदी सुधा तो इन सब का कोई बूरा नहीं मानती जबकि मैंने कभी ये सोच कर नहीं किया था । कभी कभी तो उसकी कमर मैं हाथ डाल देता हूँ पर वह कुछ नहीं कहती” । “तब तो यार छोकरी तैयार है और अब तो उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर” । “कौन सा दीदी” “बातों वाला । यानी कभी उसके सन्तरो की तारीफ करके देख क्या कहती है । अगर मुस्करा कर बूरा मानती है तो समझ ले कि पटाने मैं ज्यादा देर नहीं लगेगी” ।
“पर दीदी उसके तो बहुत छोटे-छोटे सन्तरे हैं । तारीफ के काबिल तो आपके है” । वह बोला और शर्मा कर मुँह छुपा लिया । मुझे तो इसी घड़ी का इंतजार था । मैंने उसका चेहरा पकड़ कर अपनी और घूमते हुए कहा, “मैं तुझे लड़की पटाना सीखा रही हूँ और तो मुझी पर नजरें जमाये है” ।
“नहीं दीदी सच मैं आपकी चूचियों बहूत प्यारी है । बहुत दिल करता है” । और उसने मेरी कमर मैं एक हाथ डाल दिया । “अरे क्या करने को दिल करता है ये तो बता” । मैंने इठला कर पूछा ।
“इनको सहलाने का और इनका रस पीने का” । अब उसके हौसले बुलन्द हो चुके थे और उसे यकीन था कि अब मैं उसकी बात का बूरा नहीं मानूँगी । “तो कल रात बोलता । तेरी मुठ मारते हुए इनको तेरे मुँह मैं लगा देती । मेरा कुछ घिस तो नहीं जाता । चल आज जब तेरी मुठ मारूंगी तो उस वक्त अपनी मुराद पूरी कर लेना” । इतना कह उसके पायजामा मैं हाथ डालकर उसका लण्ड पकड़ लिया जो पूरी तरह से तन गया था । “अरे ये तो अभी से तैयार है” ।
तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने मैं छुपा लिया । मैंने उसको बांहों मैं भरकर अपने करीब लिटा लिया और कस के दबा लिया । ऐसा करने से मेरी चूत उसके लण्ड पर दबने लगी । उसने भी मेरी गर्दन मैं हाथ डाल मुझे दबा लिया । तभी मुझे लगा कि वो ब्लाउज़ के ऊपर से ही मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को चूस रहा है । मैंने उससे कहा “अरे ये क्या कर रहा है? मेरा ब्लाउज़ खराब हो जायेगा” ।
उसने झट से मेरा ब्लाउज़ ऊपर किया और निप्पल मुँह मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं उसकी हिम्मत की दाद दिये बगैर नहीं रह सकी । वह मेरे साथ पूरी तरह से आजाद हो गया था । अब यह मेरे ऊपर था कि मैं उसको कितनी आजादी देती हूँ । अगर मैं उसे आगे कुछ करने देती तो इसका मतलब था कि मैं ज्यादा बेकरार हूँ चुदवाने के लिये और अगर उसे मना करती तो उसका मूड़ खराब हो जाता और शायद फ़िर वह मुझसे बात भी ना करे । इस लिये मैंने बीच का रास्ता लिया और बनावटी गुस्से से बोली, “अरे ये क्या तो तो जबरदस्ती करने लगा । तुझे शर्म नहीं आती” ।
“ओह्ह दीदी आपने तो कहा था कि मेरा ब्लाउज़ मत खराब कर । रस पीने को तो मना नहीं किया था इसलिये मैंने ब्लाउज़ को ऊपर उठा दिया” । उसकी नज़र मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ पर ही थी जो कि ब्लाउज़ से बाहर थी । वह अपने को और नहीं रोक सका और फ़िर से मेरी चूचींयाँ को मुँह मैं ले ली और चूसने लगा । मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास बढ़ रही थी । कुछ देर बाद मैंने जबरदस्ती उसका मुँह लेफ़्ट चूचींयाँ से हटाया और राइट चूचींयाँ की तरफ़ लेते हुए बोली, “अरे साले ये दो होती हैं और दोनों मैं बराबर का मज़ा होता है” ।
उसने राइट मम्मे को भी ब्लाउज़ से बाहर किया और उसका निप्पल मुँह मैं लेकर चुभलाने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को सहलाने लगा । कुछ देर बाद मेरा मन उसके गुलाबी होंठों को चूमने को करने लगा तो मैंने उससे कहा, “कभी किसी को किस किया है?” “नहीं दीदी पर सुना है कि इसमें बहूत मज़ा आता है” । “बिल्कुल ठीक सुना है पर किस ठीक से करना आना चाहिये” ।
“कैसे”
उसने पूछा और मेरी चूचींयाँ से मुँह हटा लिया । अब मेरी दोनों चूचियों ब्लाउज़ से आजाद खुली हवा मैं तनी थी लेकिन मैंने उन्हे छिपाया नहीं बल्कि अपना मुँह उसकेउसकी मुँह के पास लेजा कर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिये फ़िर धीरे से अपने होंठ से उसके होंठ खोलकर उन्हे प्यार से चूसने लगी । करीब दो मिनट तक उसके होंठ चूसती रही फ़िर बोली ।
“ऐसे” ।
वह बहूत एक्साइटिड हो गया था । इससे पहले कि मैं उसे बोलूँ कि वह भी एक बार किस करने की प्रक्टीस कर ले, वह खुद ही बोला, “दीदी मैं भी करूं आपको एक बार” “कर ले” । मैंने मुस्कराते हुए कहा ।
अमित ने मेरी ही स्टाइल मैं मुझे किस किया । मेरे होंठों को चूसते समय उसका सीना मेरे सीने पर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दो गुणी हो गयी थी । उसका किस खत्म करने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और बांहों मैं लेकर फ़िर से उसके होंठ चूसने लगी । इस बार मैं थोड़ा ज्यादा जोश से उसे चूस रही थी । उसने मेरी एक चूचींयाँ पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था । मैंने अपनी कमर आगे करके चूत उसके लण्ड पर दबायी । लण्ड तो एकदम तन कर आयरन रोड हो गया था । चुदवाने का एकदम सही मौका था पर मैं चाहती थी कि वह मुझसे चोदने के लिये भीख माँगें और मैं उस पर एहसान करके उसे चोदने की इजाजत दूँ ।
मैं बोली, “चल अब बहूत हो गया, ला अब तेरी मुठ मार दूँ” । “दीदी एक रिक्वेस्ट करूँ” “क्या” मैंने पूछा । “लेकिन रिक्वेस्ट ऐसी होनी चाहिये कि मुझे बुरा ना लगे” ।
ऐसा लग रहा था कि वह मेरी बात ही नहीं सुन रहा है बस अपनी कहे जा रहा है । वह बोला, “दीदी मैंने सुना है कि अन्दर डालने मैं बहूत मज़ा आता है । डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी । मैं भी एक बार अन्दर डालना चाहता हूँ” ।
“नहीं अमित तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन” । “दीदी मैं आपकी लूँगा नहीं बस अन्दर डालने दीजिये” । “अरे यार तो फ़िर लेने मैं क्या बचा” । “दीदी बस अन्दर डालकर देखूँगा कि कैसा लगता है, चोदूंगा नहीं प्लीज़ दीदी” ।
मैंने उस पर एहसान करते हुए कहा, “तुम मेरे भाई हो इसलिये मैं तुम्हारी बात को मना नहीं कर सकती पर मेरी एक सर्त है । तुमको बताना होगा कि अकसर ख़्यालों मैं किसकी चोदते हो?” और मैं बेड पर पैर फैला कर चित लेट गयी और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा । वह बैठा तो उसके पायजामा के ज़र्बन्द को खोलकर पायजामा नीचे कर दिया । उसका लण्ड तन कर खड़ा था । मैंने उसकी बांह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल लिटा लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटने और कोहनी पर आ गया । वह अब और नहीं रूक सकता था । उसने मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं भर लिया जो की ब्लाउज़ से बाहर थी । मैं उसे अभी और छेड़ना चाहती थी । सुन अमित ब्लाउज़ ऊपर होने से चुभ रहा है । ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे सन्तरे धाप दे” । “नहीं दीदी मैं इसे खोल देता हूँ” । और उसने ब्लाउज़ के बटन खोल दिये। अब मेरी दोनों चुचियां पूरी नंगी थी । उसने लपक कर दोनों को कब्जे मैं कर लिया । अब एक चूचींयाँ उसके मुँह मैं थी और दूसरी को वह मसल रहा था । वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैंने अपना पेटीकोट ऊपर करके उसके लण्ड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया । कुछ देर बाद लण्ड को चूत के मुँह पर रखकर बोली, “ले अब तेरे चाकू को अपने ख़रबूज़े पर रख दिया है पर अन्दर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तो बहूत दिन से चोदना चाहता है और जिसे याद करके मुठ मारता है” ।
वह मेरी चूचियों को पकड़ कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिये । मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके होंठ चूसने लगी । कुछ देर बाद मैंने कहा, “हाँ तो मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनों की रानी कौन है” ।
“दीदी आप बुरा मत मानियेगा पर मैंने आज तक जितनी भी मुठ मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालों मैं रखकर” ।
“हाय भय्या तो कितना बेशर्म है । अपनी बड़ी बहन के बारे मैं ऐसा सोचता था” । “ओह्ह दीदी मैं क्या करूं आप बहूत खूबसूरत और सेक्सी है । मैं तो कब से आपकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी चूत मैं लण्ड डालना चाहता था । आज दिल की आरजू पूरी हुयी” । और फ़िर उसने शर्मा कर आंखे बन्द करके धीरे से अपना लण्ड मेरी चूत मैं डाला और वादे के मुताबिक चुपचाप लेट गया ।
“अरे तो मुझे इतना चाहता है । मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि घर मैं ही एक लण्ड मेरे लिये तड़प रहा है । पहले बोला होता तो पहले ही तुझे मौका दे देती” । और मैंने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलानी शुरू कर दी । बीच-बीच मैं उसकी गाँड भी दबा देती ।
“दीदी मेरी किस्मत देखिये कितनी झान्टू है । जिस चूत के लिये तड़प रहा था उसी चूत में लण्ड पड़ा है पर चोद नहीं सकता । पर फ़िर भी लग रहा है की स्वर्ग मैं हूँ” । वह खुल कर लण्ड चूत बोल रहा था पर मैंने बूरा नहीं माना । “अच्छा दीदी अब वादे के मुताबिक बाहर निकालता हूँ” । और वह लण्ड बाहर निकालने को तैयार हुआ ।
मैं तो सोच रही थी कि वह अब चूत मैं लण्ड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तो ठीक उलटा कर रहा था । मुझे उस पर बड़ी दया आयी । साथ ही अच्छा भी लगा कि वादे का पक्का है । अब मेरा फ़र्ज़ बनता था कि मैं उसकी वफादारी का इनाम अपनी चूत चुदवाकर दूँ । इस लिये उससे बोली, “अरे यार तूने मेरी चूत की अपने ख़्यालों में इतनी पूजा की है । और तुमने अपना वादा भी निभाया इसलिये मैं अपने प्यारे भाई का दिल नहीं तोड़ूँगी । चल अगर तो अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनना ही चाहता है तो चोद ले अपनी जवान बड़ी बहन की चूत” ।
मैंने जान कर इतने गन्दे वर्ड्स उसे कहे थे पर वह बूरा ना मान कर खुश होता हुआ बोला, “सच दीदी” । और फ़ौरन मेरी चूत मैं अपना लण्ड धका धक पेलने लगा कि कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूँ ।
“तू बहुत किस्मत वाला है अमित” । मैं उसके कुँवारे लण्ड की चूदाई का मज़ा लेते हुए बोली । क्यों दीदी” “अरे यार तू अपनी जिन्दगी की पहली चूदाई अपनी ही बहन की कर रहा है । और उसी बहन की जिसकी तू जाने कबसे चोदना चाहता था” ।
“हाँ दीदी मुझे तो अब भी यकीन नहीं आ रहा है, लगता है सपने में चोद रहा हूँ जैसे रोज आपको चोदता था” । फिर वह मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं दबा कर चूसने लगा । उसके धक्कों की रफ्तार अभी भी कम नहीं हुयी थी । मैं भी काफी दिनों के बाद चुद रही थी इसलिये मैं भी चूदाई का पूरा मज़ा ले रही थी ।
वह एक पल रुका फ़िर लण्ड को गहराई तक ठीक से पेलकर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा । वह अब झड़ने वाला था । मैं भी सातवें आसमान पर पहूँच गयी थी और नीचे से कमर उठा-उठा कर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी । उसने मेरी चूचींयाँ छोड़ कर मेरे होंठों को मुँह मैं ले लिया जो कि मुझे हमेशा अच्छा लगता था । मुझे चूमते हुई कस कस कर दो चार धक्के दिये और और “हाय आशा मेरी जान” कहते हुए झड़कर मेरे ऊपर चिपक गया । मैंने भी नीचे से दो चार धक्के दिये और “हाय मेरे राजा कहते हुए झड़ गयी ।
चुदाई के जोश ने हम दोनों को निढाल कर दिया था । हम दोनों कुछ देर तक यूँ ही एक दूसरे से चिपके रहे । कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा, “क्यों मज़ा आया मेरे बहनचोद भाई को अपनी बहन की चूत चोदने में” उसका लण्ड अभी भी मेरी चूत में था । उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ कर अपने लण्ड को मेरी चूत पर कसकर दबाया और बोला, “बहुत मजा आया दीदी । यकीन नहीं होता कि मैंने अपनी बहन को चोदा है और बहनचोद बन गया हूँ” । “तो क्या मैंने तेरी मुठ मारी है” “नहीं दीदी यह बात नहीं है” । “तो क्या तुझे अब अफसोस लग रहा है अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनने का” ।
“नहीं दीदी ये बात भी नहीं है । मुझे तो बड़ा ही मज़ा आया बहनचोद बनने मैं । मन तो कर रह कि बस अब सिर्फ़ अपनी दीदी की जवानी का रा ही पीता रहूं । हाय दीदी बल्कि मैं तो सोच रहा हूँ कि भगवान ने मुझे सिर्फ़ एक बहन क्यों दी । अगर एक दो और होती तो सबको चोदता । दीदी मैं तो यह सोच रहा हूँ कि यह कैसे चूदाई हुयी कि पूरी तरह से चोद लिया लेकिन चूत देखी भी नहीं” ।
“कोई बात नहीं मज़ा तो पूरा लिया ना?” “हाँ दीदी मज़ा तो खूब आया” । “तो घबराता क्यों है? अब तो तूने अपनी बहन चोद ही ली है । अब सब कुछ तुझे दिखाऊंगी । जब तक माँ नहीं आती मैं घर पर नंगी ही रहूँगी और तुझे अपनी चूत भी चटवाऊँगी और तेरा लण्ड भी चूसूँगी । बहुत मज़ा आता है” । “सच दीदी” “हाँ । अच्छा एक बात है तो इस बात का अफसोस ना कर कि तेरे सिर्फ़ एक ही बहन है, मैं तेरे लिये और चूत का जुगाड़ कर दूंगी” ।
“नहीं दीदी अपनी बहन को चोदने मैं मज़ा ही अनोखा है । बाहर क्या मज़ा आयेगा” “अच्छा चल एक काम कर तो माँ को चोद ले और मादरचोद भी बन जा” । “ओह दीदी ये कैसे होगा”
“घबरा मत पूरा इन्तज़ाम मैं कर दूंगी । माँ अभी ३८ साल की है, तुझे मादरचोद बनने मैं भी बड़ा मज़ा आयेगा” ।
“हाय दीदी आप कितनी अच्छी हैं । दीदी एक बार अभी और चोदने दो इस बार पूरी नंगी करके चोदूंगा” । “जी नहीं आप मुझे अब माफ़ करिये” । “दीदी प्लीज़ सिर्फ़ एक बार” । और लण्ड को चूत पर दबा दिया ।
“सिर्फ एक बार” । मैंने ज़ोर देकर पूछा । “सिर्फ एक बार दीदी पक्का वादा” ।
“सिर्फ एक बार करना है तो बिलकुल नहीं” । “क्यों दीदी” अब तक उसका लण्ड मेरी चूत मैं अपना पूरा रस निचोड़ कर बाहर आ गया था । मैंने उसे झटके देते हुए कहा, “अगर एक बार बोलूँगी तब तुम अभी ही मुझे एक बार और चोद लोगे” “हाँ दीदी” ।
“ठीक है बाकी दिन क्या होगा । बस मेरी देखकर मुठ मारा करेगा क्या । और मैं क्या बाहर से कोई लाऊंगी अपने लिये । अगर सिर्फ़ एक बार मेरी लेनी है तो बिलकुल नहीं” ।
उसे कुछ देर बाद जब मेरी बात समझ मैं आयी तो उसके लण्ड में थोड़ी जान आयी और उसे मेरी चूत पड़ा रगड़ते हुए बोला, “ओह दीदी यू र ग्रेट” ।
Wednesday, December 15, 2010
Sex position
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10 Rules of Anal Sex
Try it , you'll like it. |
Yet the anal taboo inhibits most people from thinking, talking and learning about the sexual use of the anus. Listed here are the ten things most men and women still do not know about anal sex.
1. Anal intercourse is the least practiced form of anal sex.
There are many ways to enjoy the anus erotically. The most common techniques include touching the anal opening while masturbating or stimulating a partner's anus during intercourse or oral sex.
Some people enjoy the sensation of a finger - their own or a lover's - insinuated into their anal opening and gently rotated. Others may prefer the insertion of a dildo or vibrator beyond the anal opening and short anal canal into the larger rectum. Many men, including heterosexuals, prefer this form of penetration.
Oral-anal lovemaking is popularly known as rimming. The very idea disgusts some people. Others enjoy performing it or
Wednesday, December 8, 2010
18 की होते ही बन गया सेक्स टेप
अमेरिकी टीवी सेलिब्रिटी और ग्लैमर मॉडल केंड्रा विलकिनसन का 2005 में 18 वर्ष की होते ही सेक्स टेप बन गया था। इंटरनेट पर केंड्रा के सेक्स टेप की खबर आते ही लोग इसके रीलीज होने का इंतेजार कर रहे हैं।
केंड्रा का यह सेक्स टेप विविड एंटरटेनमेंट के पास है जो इसे जल्द ही रिलीज करने वाली थी लेकिन अब खबर यह है कि यह सेक्स टेप जून के पहले सप्ताह में रीलीज किया जाएगा।
केंड्रा को भी इस सेक्स टेप के होने के बारे में जानकारी है। विविड एंटरटेनमेंट इस वीडियो को पूरी तरहा भुनाना चाहती है और इससे संबंधी जानकारी कंपनी अलग-अलग हिस्सों में जारी कर रही है।
विविड एंटरटेनमेंट ने पहले इस वीडियो के फोटो जारी किए थे और अब विविड के प्रेसीडेंट स्टीवन हिर्श्क ने कहा है कि वीडियो में केंड्रा के साथ उसके एक पुराना बॉयफ्रेंड है लेकिन वो न ही प्लेबॉय के मालिक हगहेफनर हैं और न ही उसका पति हेंक बासकेट।
केंड्रा का यह सेक्स टेप विविड एंटरटेनमेंट के पास है जो इसे जल्द ही रिलीज करने वाली थी लेकिन अब खबर यह है कि यह सेक्स टेप जून के पहले सप्ताह में रीलीज किया जाएगा।
केंड्रा को भी इस सेक्स टेप के होने के बारे में जानकारी है। विविड एंटरटेनमेंट इस वीडियो को पूरी तरहा भुनाना चाहती है और इससे संबंधी जानकारी कंपनी अलग-अलग हिस्सों में जारी कर रही है।
विविड एंटरटेनमेंट ने पहले इस वीडियो के फोटो जारी किए थे और अब विविड के प्रेसीडेंट स्टीवन हिर्श्क ने कहा है कि वीडियो में केंड्रा के साथ उसके एक पुराना बॉयफ्रेंड है लेकिन वो न ही प्लेबॉय के मालिक हगहेफनर हैं और न ही उसका पति हेंक बासकेट।
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हॉलीवुड सेलीब्रिटी के सेक्सी ब्रेस्ट का राज
हॉलीवुड सेलीब्रिटी स्कारलेट जॉनसन, विक्टोरिया बेकहम और केली ब्रूक अपने सेक्सी ब्रेस्ट के कारण हॉलीवुड में अलग पहचान रखती हैं। इन सेलीब्रिटी ने अपने ब्रेस्ट को खूबसूरत बनाने के लिए किसी तरह का सर्जरी नहीं करवाया है बल्कि वे Rodial नामक क्रीम इस्तेमाल करती हैं। अब तक यह क्रीम सेलीब्रिटी तक ही सीमित था। लेकिन पिछले दिनों इसे मार्केट में लांच किया गया।
यह क्रीम ब्रेस्ट का साइज बढ़ाने में काफी मददगार है। इसे नैचुरल केमिकल्स से बनाया गया है। यह क्रीम स्तन के फैट सेल्स की संख्या को बढ़ाता है।
Rodial नामक इस दवा को ब्रेस्ट के चारो तरफ रोज लगाना होता है। दो महीने तक लगातार लगाने के बाद इसके परिणाम देखे जा सकते हैं। दो से 3 सेंटीमीटर ब्रेस्ट का साइज बढ़ जाता है। इससे त्वचा पर झुर्रियां भी नहीं पड़ती है।
महिलाएं इस प्रोडक्ट के मार्केट में आने से काफी खुश हैं लेकिन कुछ प्लास्टिक सर्जन इससे सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि इससे साइड इफेक्ट भी हो सकता है। लेकिन मैन्यूफैक्चर कंपनी के स्पोक्स पर्सन का कहना है कि यह पूरी तरह से सुरक्षित है। यह महिलाओं के जीवन में क्रांति ला देगा।
यह क्रीम ब्रेस्ट का साइज बढ़ाने में काफी मददगार है। इसे नैचुरल केमिकल्स से बनाया गया है। यह क्रीम स्तन के फैट सेल्स की संख्या को बढ़ाता है।
Rodial नामक इस दवा को ब्रेस्ट के चारो तरफ रोज लगाना होता है। दो महीने तक लगातार लगाने के बाद इसके परिणाम देखे जा सकते हैं। दो से 3 सेंटीमीटर ब्रेस्ट का साइज बढ़ जाता है। इससे त्वचा पर झुर्रियां भी नहीं पड़ती है।
महिलाएं इस प्रोडक्ट के मार्केट में आने से काफी खुश हैं लेकिन कुछ प्लास्टिक सर्जन इससे सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि इससे साइड इफेक्ट भी हो सकता है। लेकिन मैन्यूफैक्चर कंपनी के स्पोक्स पर्सन का कहना है कि यह पूरी तरह से सुरक्षित है। यह महिलाओं के जीवन में क्रांति ला देगा।
Friday, December 3, 2010
बस में मिला
मेरा नाम निकिता भल्ला है! मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ और मैं ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा हूँ! मेरी उम्र १८ साल है। मेरे पापा और मम्मी दोनों ही नौकरी करते हैं, एक बहु-राष्ट्रीय कंपनी में बहुत ऊँचे पद पर हैं! पर उनके पास मेरे लिए बिलकुल भी समय नहीं है! क्योंकि शायद मैं गोद ली हुई हूँ इसलिए ! और बाद में उन को एक लड़का हो गया, इसलिए अब वो मुझे बोझ समझते हैं! उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं घर आऊँ या ना आऊँ. . . . बस समाज को दिखाने के लिए मुझे रखना मजबूरी है उनकी ! खैर अब मैं भी सब समझती हूँ और उनकी परवाह नहीं करती ! अब मैं भी जिन्दगी के मज़े लेती हूँ! मेरा कद ५ फीट ३ इंच, मेरा फिगर बड़ा ही सेक्सी है! गोल और कसी हुई चूचियाँ जो ज्यादा बड़ी नहीं पर मस्त दिखती हैं ! चूत मैं हमेशा साफ़ ही रखती हूँ! क्या पता कहाँ कोई लण्ड मिल जाये..... रंग मेरा ऐसा जैसे कि दूध में गुलाब डाल दिया हो! मैं भी एकदम बिंदास रहती हूँ! मेरा २-३ लड़कों से शारीरिक रिश्ता भी रह चुका है जो मेरी माँ की रिश्ते में ही हैं.. शायद कम उम्र में ही सेक्स करने से अब मुझे लण्ड बहुत अच्छे लगने लगे हैं! लण्ड के बारे में सोचते ही मेरी चूत में पानी आने लगता है! अब मैं अपनी कहानी बताती हूँ! मैं रोज सुबह बस से स्कूल जाती थी और शाम को वापिस आती थी! कई बार शाम को थोड़ा लेट हो जाती थी! क्योंकि मेरा घर पर मन ही नहीं लगता था! आप तो जानते ही हैं कि दिल्ली की बसों में कितनी भीड़ रहती है! पर मैं पहले स्टाप से ही बैठती हूँ सो सीट मिल जाती है! यह एक साल पहले की बात है, ऐसे ही एक दिन मैं बस में जा रही थी! बस में बहुत भीड़ थी! मेरे पास ही एक बड़ी उम्र का आदमी धोती कुर्ता पहने खड़ा था! कद करीब ५ फीट १० इंच होगा! रंग थोड़ा सावंला पर था हट्टा कट्टा ! बड़ी रौबदार मूछें ! मैंने सामने वाली सीट को हाथ से पकड़ा था इसलिए शायद गलती से मेरा हाथ उसके लण्ड से लग गया था, मुझे अच्छा लगा। बस फिर मेरा तो पूरा ध्यान ही वहीं अटक गया! वो बेचारा पीछे हटने की कोशिश करता हर बार! मुझे मज़ा आने लगा, और थोड़ी हंसी भी आ रही थी! मैं अब मज़े लेने के मूड में आ गई थी! मैंने पूरी बस में देखा- आस पास सभी औरतें ही थी, बहुत भीड़ थी, शायद सभी के पास आज सामान कुछ ज्यादा ही था! मेरे बाजू वाली सीट पर एक लड़की बहुत सारा सामान ले कर बैठी थी! मैंने अपना बैग अपनी टांगों पे रख लिया! अ़ब मैं आगे झुक के सोने का नाटक करने लगी और हाथ को आगे वाली सीट के पाइप पे रख के जरा बाहर निकाल लिया, पर वो थोड़ा पीछे हो गया! पर झटकों से कभी कभी उसका लण्ड मेरी उंगलियों से छू जाता था! अब मुझे मज़ा आने लगा.. मेरी चूत में खुजली होने लगी थी! मैंने नीचे ही नीचे अपनी शर्ट के ऊपर के बटन खोल लिए ओर पीछे हो कर बैठ गई! अब ऊपर से मेरी सफ़ेद ब्रा और गोल गोल चूचियां साफ़ दिख रही थी! मैंने अपने बैग को पेट से चिपका लिया ताकि मेरी चूचियां थोड़ी और ऊपर उठ जाएँ और बाहर ज्यादा नज़ारा दिख सके.. मैं नोट कर रही थी कि वो आदमी मुझे देख रहा है पर जब भी मैं ऊपर देखती हूँ तो वो नज़रें घूमा लेता है! शायद उसे अपनी बड़ी उम्र का अहसाह था! पर मुझे तो मस्ती सूझ रही थी! मुझे और शरारत सूझी और मैं बाहर स्टैंड देखने के लिए थोड़ा उठी और चुपके से साइड से अपनी स्कर्ट सीट के पीछे अटका दी और बैठ गई! जैसे ही मैं बैठी, मेरी स्कर्ट ऊपर उठ गई और मेरी पैंटी दिखने लगी, जो कि बहुत पतली थी! पैंटी में से मेरे चूत के होंट साफ़ दिखाई देते थे! मैं झट से दोबारा उठी और स्कर्ट ठीक कर के बैठ गई, जैसे गलती से स्कर्ट अटक गई हो.. पर जो मैं दिखाना चाहती थी, वो उस आदमी ने देख लिया था! मैंने उपर देखा और हल्के से मुस्करा दी! मैंने महसूस किया कि उस आदमी का लण्ड टाइट होने लगा था। वो अब भी कुछ शरमा रहा था पर मैंने हाथ को सामने वाली सीट पे ही लगा के रखा था! जब भी कोई उतरता था तो उसे आगे होना पड़ता था ओर मेरा हाथ उसके लण्ड से छू जाता था! तभी बस में और भीड़ चढ़ गई! अब तो बस खचखच भरी थी! तभी मैंने देखा के पास में एक औरत सामान के साथ खड़ी थी! मुझे एक आइडिया आया और मैंने उसे अपनी सीट दे दी! अब मैं उस आदमी के सामने खड़ी हो गई! मेरी सीट पे वो औरत बैठ गई, उसकी गोद में सामान था और उसने मेरा बैग भी अपनी गोद में रख लिया था! बस फिर चल पड़ी! अब मेरा ध्यान उस आदमी के लण्ड पे था! मुझे उस आदमी का लण्ड अपनी गांड के थोड़ा ऊपर महसूस हो रहा था! मैंने एड़ियों को थोड़ा ऊपर उठा लिया ताकि लण्ड मेरी गांड की दरार में लग जाये! वाह... क्या लण्ड था उसका! मैं उसके लण्ड का जायजा लेने लगी..जिससे मेरी चूत में पानी आने लगा था! पर वो आदमी कोई हरकत नहीं कर रहा था! अब मुझे उस पे गुस्सा आ रहा था! अ़ब मैं काफी गरम हो चुकी थी! तब मैंने थोड़ी हिम्मत करके हाथ धीरे से पीछे ले जाकर उसके लण्ड को छुआ! मैं उसे सहलाने लगी जिससे वो और कड़क हो गया! मुझे मज़ा आने लगा। मैं उसके लण्ड को हल्के- हल्के से सहला रही थी, पर तभी उसने मेरा हाथ अपने लण्ड से हटा दिया! मैंने पीछे मुड़ के देखा, वो चुपचाप था पर आगे की ओर आ गया था! अब वो अपना लण्ड मेरी गांड की दरार में दबा रहा था! मुझे खुशी हुई कि वो अब मेरा साथ दे रहा था! मेरी स्कर्ट में साइड में चैन थी! सो मैंने धीरे धीरे स्कर्ट घुमाना शुरु कर दिया! मैं साथ साथ बस में भी नज़र मार रही थी कि कोई देख तो नहीं रहा है! पर शायद भीड़ होने की वज़ह से कोई नहीं देख पा रहा था! अब मेरी स्कर्ट की जिप पीछे थी जो मैं पहले ही खोल चुकी थी! उसका लण्ड अ़ब मैं और अच्छे से महसूस कर सकती थी! कुछ देर ऐसे ही चलता रहा, हर झटके के साथ वो अपने लण्ड का दबाव और बढ़ा देता! मुझे मज़ा आ रहा था! मैंने पीछे मुड़ के देखा पर वो ऐसे देख रहा था जैसे कुछ हो ही नहीं रहा था! मैं अ़ब और आगे बढ़ना चाहती थी, इसलिए अ़ब मैंने पीछे हाथ कर के उसकी धोती में हाथ डाल दिया और उसके लण्ड को बाहर निकालना चाहा पर उसने मेरा हाथ झटक दिया! मैंने उसकी ओर देखा, वो हल्के से मुस्कराया और उसने बस में होने का अहसास कराया! मैंने धीरे से पीछे हट के उसके कान में कहा,"इतनी भीड़ में कोई नहीं देख रहा, अभी भीड़ कम नहीं होगी बल्कि और बढ़ेगी, मैं रोज़ इसी बस मैं जाती हूँ, तुम बस मज़ा लो !" और मैं उसकी तरफ मुस्करा दी.. जवाब में उसने भी एक प्यारी से मुस्कराहट दी.. . वो थोड़ा शरमाया और ऐसे ही लण्ड को दबाता रहा! मैंने सोचा- चलो कोई नहीं ! इतना मज़ा तो आ रहा है! पर थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि वो अपनी धोती में हाथ डाल रहा है! तभी मैंने अपनी पैंटी पे उसका लण्ड उठा हुआ महसूस किया! मैं फिर से ऊपर उठ गई ताकि लण्ड मेरी गांड की दरार में लग जाये! मैं बार बार ऊपर उठ रही थी, यह बात उसने भांप ली, सो उसने मेरी एड़ियों के नीचे अपने पैर लगा दिए, जिससे वो मेरे और पास आ गया और मैं ऊपर उठ गई! मैंने आगे देखा तो मेरे सामने सामान ही सामान था, मैंने चुपके से अपनी स्कर्ट ऊपर उठानी शुरु कर दी पर एक लिमिट से ज्यादा नहीं उठा सकती थी, नहीं तो किसी को पता चल जाता! इसलिए स्कर्ट को वापिस नीचे ही कर दिया! पर मेरा मन तो पूरे मज़े लेने का था! मैं थोड़ा आगे की तरफ हो गई ताकि उसके और मेरे बीच कुछ गैप बन जाए। मैंने अपनी टांगो को थोड़ा फैला लिया! अब मैंने पीछे हाथ ले जा कर उसके लण्ड को अपने स्कर्ट की जिप से दोनों टांगो के बीच में फंसा लिया! यार क्या गरम लण्ड था.......स्स्स्स्स्स्स्स्स्स......म्मम्मम........... मैं उसका लण्ड अपनी दोनों टांगो पे महसूस कर रही थी! ऐसा लगता था कि मैं किसी बड़ी मोटी गरम रॉड पे बठी हूँ! मैंने अपनी गाण्ड थोड़ा पीछे धकेल दी और वो भी थोड़ा आगे आ गया! उसका लण्ड मेरी टांगों पे रगड़ता हुआ आगे आ गया! अब उसके लण्ड का आगे वाले हिस्से का उभार स्किर्ट पे आगे की साइड दिख रहा था, इसलिए मैं थोड़ा आगे झुक गई ताकि स्कर्ट ऊपर उठ जाये! "म्मम्मम्म......... उसका गरम लण्ड मैंने टांगों के बीच दबा रखा था जो कि हर झटके में आगे पीछे हो रहा था! एक तरह से वो मेरी टांगों को चोद रहा था, मेरी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी! मेरा मन हो रहा था कि अपनी पैंटी को हाथ डाल के हटा दूँ ताकि उसके लण्ड की गर्मी अपनी चूत पर महसूस कर सकूँ! पर शायद बस में यह नहीं हो सकता था! मैं पीछे मुड़ी और उसके कान में धीरे से कहा," अपने हाथ से मेरी पैंटी साइड में कर दो प्लीज़...!" और वापिस आगे देखने लगी। उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर स्कर्ट की जिप से २ उँगलियाँ अंदर डाली ओर मेरी पैंटी को साइड में कर दिया! मैं तो जैसे ......... अपने होश ही खो बैठी थी! उसका गरम लण्ड मेरी चूत पे लगा हुआ था। अब उसका लण्ड मेरी चूत पे रगड़ खा रहा था, शायद चूत के पानी की वज़ह से जो मेरी टांगों तक आ गया था, वो अ़ब आराम से आगे पीछे जा रहा था! मेरी आँखे बंद हो रही थी! मेरा चेहरा लाल हो गया था पर मैं सामान्य दिखने की कोशिश कर रही थी! मैंने आस पास देखा पर कोई भी हमारी तरफ नहीं देख रहा था! बस के हर झटके के साथ वो मेरी टांगों में झटके मार रहा था! उसका गरम लण्ड जब भी आगे या पीछे होता मेरी चूत में आग बढ़ जाती! तभी एक तेज़ झटका लगा और उसका लण्ड पीछे चला गया, आगे से मेरी पैंटी थोड़ा अपनी जगह पर वापिस आ गई! जब उसने लण्ड वापिस आगे किया तो वो मेरी पैंटी में चला गया म्म्म्म्म्म्म्म...................................... अब उसका लण्ड मेरी पैंटी में था और चूत के होठों के बीच में ..... ऊपर नीचे हो रहा था..........! मुझे और मज़ा आने लगा, ... और मैंने एड़ियों को और ऊपर उठा लिया। शायद उसे भी मज़ा आ रहा था इसलिए उसने झटके बढ़ा दिए। तभी बस रेड लाइट पे रूक गई और झटके बंद हो गए! मैंने पेट के नीचे खुजली करने के बहाने से हाथ स्कर्ट पे ले जा के उसके लण्ड के सुपाड़े को मसलने लगी! मैंने पीछे मुड़ के देखा तो उसका पूरा चेहरा पसीने से गीला हो गया था! तभी बस चल पड़ी पर मेरे मसलने से शायद वो झड़ने वाला था। अब मैं भी अपनी गाण्ड को हल्के हल्के ऊपर नीचे करने लगी! स्स्स्स्स्स्स्स्स्श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ मज़ा बढ़ने लगा था... मेरी चूत में कैसे खलबली मच गई थी...... तभी मैंने एड़ियों को ऊपर उठा लिया और मेरा शरीर टाइट हो गया ! मैं .....में.......झड़ने वाली थी, और ....औ ..औम्मम्मम... औ..आह्ह्ह्छ ..... में उसके ऊपर झड़ गई और मेरा सारा जूस उसके लण्ड पे आ गया! और मैं ढीली होती चली गई! उसने भी एक दो झटके लगाये और सारा वीर्य मेरी पैंटी में छोड़ दिया, जिसे में अपनी जांघों तक महसूस कर रही थी! २-३ मिनट तक हम ऐसे ही रहे और फ़िर वो अपना लण्ड बाहर निकलने लगा। मैंने अपना हाथ पीछे लगा लिया ताकि उसके वीर्य से मेरी स्कर्ट ख़राब न हो! सारा वीर्य मैंने अपने हाथ से पौंछ लिया और उसने अपना लण्ड वापिस अपनी धोती में कर लिया! तभी एक स्टाप आया और मैं उतर गई, पता चला कि ४ स्टाप आगे आ गई हूँ पर इस स्टाप पे ज्यादा लोग नहीं होते क्योंकि यह दिल्ली का बाहरी इलाका था, और आज तो ये स्टाप बिल्कुल खाली था, पता नहीं क्यों... शायद हमारी किस्मत......... वो आदमी भी वहीं उतर गया! मैंने इधर उधर देखा, फिर उसकी तरफ देख के अपने हाथों को चूसने लगी चाट -चाट के सारा हाथ साफ़ कर लिया! तब थोड़ी देर बात करने के बाद उसने बताया कि वो यहाँ से ८० किलोमीटर दूर गाँव में रहता है, यहाँ अपने बेटे के पास आया है, पूरा दिन खाली रहता है इसलिए सोचा आज एक दोस्त से मिल आऊँ, उसका नाम महादेव सिंह है। मेरा भी स्कूल मिस हो गया था सो हम बस स्टाप के साथ में बने पार्क में गए और एक पेड़ों से घिरी जगह बैठ गए! वहाँ पहले तो मैंने अपनी पैंटी में हाथ डाल के सारा वीर्य हाथों से साफ़ किया और हाथों को चटकारे ले ले कर चूसना शुरु कर दिया..! पर किसी के आने की आहट से हम सतर्क हो गए, वहाँ पार्क में कुछ दूर कुछ लोग आ के बैठ गए थे और शायद उनका लम्बे समय तक बैठने का कार्यक्रम था! इसलिए हम कल फिर वहीं मिलने का वादा कर के वापिस चल पड़े क्योंकि उसे भी कुछ जल्दी थी! वो शायद अपने दोस्त के घर के लिए चला गया और मैं अपनी बस की प्रतीक्षा करने लगी.. और बस पकड़ के अपने घर आ गई...................... आगे क्या हुआ बाद में....
Friday, November 26, 2010
सेक्स लाईफची 9 सूत्रे!
'वैवाहीक जीवन' यशस्वी होणे हे बहुतांश 'सेक्स लाईफ'वरही अवलंबून असते. ते फुलण्यासाठी प्रत्येक रात्र आनंदी, उत्साही व उत्तेजित होणे गरजेचे आहे. त्यासाठीच सेक्स लाईफची ही 18 सुत्रे आपल्याला नक्कीच उपयोगी ठरतील.
1. डान्स करावा-
आपल्या पार्टनरसोबत डान्स करावा. डान्स जमत नाही, हे कारण चालणार नाही. प्रेमात 'नाचना जरूरी है'. कारण नाचण्याने सेक्स अपील क्रिएट होत असते.
2. वर्क आऊट-
डेली वर्क आऊट केल्याने बॉडी ही अधिक सेक्सी बनते. त्याने सेक्स ताकद वाढीस लागते. शरीर अधिक लवचीक होऊन कामसूत्रातील आसनं करून अधिक प्रणयानंद अनुभवू शकता.
3. म्युझिक-
प्रत्येक प्रकाराचे म्युझिक सेक्स लाईफसाठी फायदेशीर ठरत असते. 'पार्टनर'सोबत सेक्स करताना म्युझिकच्या प्रत्येक रिदमची आपल्याला साथ असते. सेक्समध्ये मूड क्रिएट करण्याचे कार्य म्युझिक करत असते. गाण्यातील मर्मभेदी शब्द आपल्या मनातील सुप्त भावना भडकवण्याचे कार्य करतात.
4. शेअर फॅंटेसी-
एकमेकांमध्ये दररोज किमान एक फॅंटेसी तरी शेअर करावी. त्यानंतर त्याच्यावर दोघांनी एक्सपेरीमेंट करावे. तेव्हा कुठे तुमच्या सेक्स लाईफला रंग चढायला सुरवात होईल.
5. संवाद-
आपल्या पार्टनरकडून प्रत्येक वेळी सेक्शुअल प्लेजरची अपेक्षा करावी. त्यासाठी प्रणयात सेक्स अपील करणारा संवाद साधावा. या संवादाचा आपल्या सेक्स लाईफवर अनुकूल प्रभाव पडतो.
6. प्ले गेम्स-
घरातील माहोल पाहून आपल्या पार्टनरसोबत कॉम्प्यूटर किंवा टीव्हीवर सेक्स गेम्स खेळावे. अशा प्रकारचे गेम्स गेम स्टोर्समध्ये सहज उपलब्ध होतात. मात्र, गेम्स हे मस्तीने भरपूर व उत्तेजनेने ओतप्रोत भरलेले असावेत. आपल्यात उत्साह निर्माण करण्याचे सामर्थ्य या गेम्समध्ये पाहिजे.
7. लव्ह नोट्स द्या-
प्रणयक्रिडेसाठी लव्ह नोट्स खूप महत्त्वाच्या ठरतात. आपल्या 'पार्टनर' संदर्भात मनातल्या पानावरचे कागदावर पानावर उतरविले लिखाण दाखवून आनंदाची एक वेगळी अनुभूती घ्यावी.
8. रोमॅंटिक मूव्ही बघा-
आपल्या पार्टनरसोबत रोमॅंटिक मूव्ही बघा. जर आपल्या पार्टनरची हरकत नसेल तर आपण सेक्सी चित्रपटही बघू शकता. त्यानंतर सेक्सचा मनसोक्त आनंद तुम्ही मिळवू शकता.
9. नेहमी फ्रेश रहा-
हायजीन (स्वच्छता) सेक्स आनंद लुटण्याकरीता खूप आवश्यक आहे. आपल्या पार्टनरकडून सर्वांगास 'kiss' करून घेण्यासाठी आधी अंघोळ करून बॉडी स्प्रे किंवा परफ्यूम वापरला पाहीजे. तोंड ब्रश करून माउथवाशने क्लीन करावे. तसेच आपली गुप्तांगे ही स्वच्छ केली पाहिजेत. सुगंधीत शरीरावर ओठ टेकवण्यात आपल्या पार्टनरला नक्कीच आनंद मिळेल.
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या जगातील १० सत्य
या जगातील १० सत्य
1. ज्यांना रात्री केलेल्या कृत्याचा सकाळी उठल्यावर पश्चात्ताप होतो अश्या लोकांनी सरळ दुपारीच उठावे.
२. जाहिरातीवाचून धंदा करणे म्हणजे एखाद्या सुंदर स्त्रीने अंधारात डोळा मारण्यासारखे आहे.
३. माणसाने नेहेमी स्पष्ट बोलावे म्हणजे ऐकणाऱ्यालाही स्पष्ट ऐकू जाते.
४. मूलभूत राजकीय पक्ष दोनच- सत्ताधारी, सत्ताकांक्षी
५. दोन जोडपी समोरा समोर येतात तेंव्हा बायका एकमेकींच्या साड्या दागिने बघतात तर नवरे एकमेकांच्या बायकांकडे बघतात.
६. मुलगा आणि नारळ कसा निघेल हे आधीच सांगणे अवघड आहे.
७. प्रेम आंधळं असतं, लग्न डोळे उघडतं.
८. देवा मला वाट पाहायची शक्ती दे... तीही आज आता ताबडतोब!
९. काही माणसे जिवंत असतात कारण खून करणे बेकायदा आहे म्हणून!
१०. काळ हा सर्वोत्तम शिक्षक आहे, पण तो आपल्या सगळ्या शिष्यांचा बळी घेतो
सुविचार
१. पैसा हेच सर्वस्व नव्हे...... मास्टर कार्ड, व्हिसा कार्डही आहेत जगात!!!
२. प्राण्यांवर प्रेम करा...... ते किती चविष्ट असतात!!!
३. पाणी वाचवा...... बीअर प्या!!!
४. शेजाऱ्यावर प्रेम करा...... पकडले जाऊ नका म्हणजे झालं!!!
1. ज्यांना रात्री केलेल्या कृत्याचा सकाळी उठल्यावर पश्चात्ताप होतो अश्या लोकांनी सरळ दुपारीच उठावे.
२. जाहिरातीवाचून धंदा करणे म्हणजे एखाद्या सुंदर स्त्रीने अंधारात डोळा मारण्यासारखे आहे.
३. माणसाने नेहेमी स्पष्ट बोलावे म्हणजे ऐकणाऱ्यालाही स्पष्ट ऐकू जाते.
४. मूलभूत राजकीय पक्ष दोनच- सत्ताधारी, सत्ताकांक्षी
५. दोन जोडपी समोरा समोर येतात तेंव्हा बायका एकमेकींच्या साड्या दागिने बघतात तर नवरे एकमेकांच्या बायकांकडे बघतात.
६. मुलगा आणि नारळ कसा निघेल हे आधीच सांगणे अवघड आहे.
७. प्रेम आंधळं असतं, लग्न डोळे उघडतं.
८. देवा मला वाट पाहायची शक्ती दे... तीही आज आता ताबडतोब!
९. काही माणसे जिवंत असतात कारण खून करणे बेकायदा आहे म्हणून!
१०. काळ हा सर्वोत्तम शिक्षक आहे, पण तो आपल्या सगळ्या शिष्यांचा बळी घेतो
सुविचार
१. पैसा हेच सर्वस्व नव्हे...... मास्टर कार्ड, व्हिसा कार्डही आहेत जगात!!!
२. प्राण्यांवर प्रेम करा...... ते किती चविष्ट असतात!!!
३. पाणी वाचवा...... बीअर प्या!!!
४. शेजाऱ्यावर प्रेम करा...... पकडले जाऊ नका म्हणजे झालं!!!
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marathi
दारु चढल्या नंतर ची खास वाक्ये
दारु चढल्यावर नंतर ची खास वाक्ये
१. तु माझा भाउ आहे.. घाबरायच नाही.
२.भीडु आपल्याला बिलकुल चाढली नाही..
३. गाडि मी चालवणार, तु मुकाट पणे माग बसायच.
५. तु आपल्या बोलण्याच मनावर नाय घ्यायच.
६. भाउ, आपण तुला मनापासुन मान्तो. तु लै भारी
७. चल आज सुनाव त्याला.. काय होइल ते बघुन घेउ....
८. आज फक्त तिच्या बरोबर बोलायला साठी री चार्ज केला आहे....
९. तुला काय वाटत मला चढली आहे?
१०. अस समजु नको कि मी पीलोय म्हणुन बोलतो आहे...
११. अरे यार येवढी पुरेल ना, कमी नाय ना पडनार......
१२. मी लास्ट पेग बॉटम अप करणार....
१३. यार तु अजुन नको पीउ.. तेरे को चड गई है..
१४. य़ार काही म्हण तु आज तुझ बोलण मनाला लागल...
१५. कही पण आसो.. साला तु आपला भाऊ आहेस...
१६. तु बोलना भाई, काय पाहीजे जान चाहिये हाज़िर है ???
१७.अबे आपल्याला आज पर्यंत नाही चढली ,चल साल्या बेट लाव आज..
१८. चल बोलतो तिच्याशी तुझ्या बद्द्ल , फोने नंबर दे उस्का...
१९ य़ार आज उसकि बहुत याद आ रहि है
२०. य़ार आता बस ,आत नाही प्यायच...
२१. य़ार तु आपला सर्वात जिगरी दोस्त... आज से हमारे बीच में कोइ पोरगी नहि अयेगि
१. तु माझा भाउ आहे.. घाबरायच नाही.
२.भीडु आपल्याला बिलकुल चाढली नाही..
३. गाडि मी चालवणार, तु मुकाट पणे माग बसायच.
५. तु आपल्या बोलण्याच मनावर नाय घ्यायच.
६. भाउ, आपण तुला मनापासुन मान्तो. तु लै भारी
७. चल आज सुनाव त्याला.. काय होइल ते बघुन घेउ....
८. आज फक्त तिच्या बरोबर बोलायला साठी री चार्ज केला आहे....
९. तुला काय वाटत मला चढली आहे?
१०. अस समजु नको कि मी पीलोय म्हणुन बोलतो आहे...
११. अरे यार येवढी पुरेल ना, कमी नाय ना पडनार......
१२. मी लास्ट पेग बॉटम अप करणार....
१३. यार तु अजुन नको पीउ.. तेरे को चड गई है..
१४. य़ार काही म्हण तु आज तुझ बोलण मनाला लागल...
१५. कही पण आसो.. साला तु आपला भाऊ आहेस...
१६. तु बोलना भाई, काय पाहीजे जान चाहिये हाज़िर है ???
१७.अबे आपल्याला आज पर्यंत नाही चढली ,चल साल्या बेट लाव आज..
१८. चल बोलतो तिच्याशी तुझ्या बद्द्ल , फोने नंबर दे उस्का...
१९ य़ार आज उसकि बहुत याद आ रहि है
२०. य़ार आता बस ,आत नाही प्यायच...
२१. य़ार तु आपला सर्वात जिगरी दोस्त... आज से हमारे बीच में कोइ पोरगी नहि अयेगि
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Sunday, November 21, 2010
Sexy Girl
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Tuesday, November 16, 2010
janine lindemulder
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Tuesday, November 9, 2010
Friday, October 29, 2010
मेरे लंड का इम्तेहान
हेल्लो दोस्तों
मेरा नाम राज है मेरे बारे में तो आप सभी जानते ही होगे.
आप लोगो के लिये फिर गरमा गरम मनोरंजन के लिए हाजिर हूँ ! ये कहानी नहीं हकीकत हैं, यह बात सिर्फ दो दिन पहले की हैं !
मैं जिस ऑफिस में काम करता हूँ उस ऑफिस में मेरे साथ लीला नामकी एक लड़की भी काम करती है जिसकी उम्र ३५ साल है उसका फिगर पूरा कसा हुआ है उसका साइज 34-32-36 और साथ में सेक्सी भी हैं मैं जब भी उसे देखता तो मेरा मन उसे चोदने के बारे में ही सोचता रहता एक दो बार तो मैंने उसकी सीने पे हाथ भी फेर दिया था, और कभी कभी बात करते करते उसे छु भी लेता था! एक दिन तो उसे कह ही दिया "लीला तुम बहुत ही सेक्सी लगती हो एक बार तो मैं तुम्हे चोदना चाहता हूँ ''
लीला -तेरे लंड में उतना जोर ही नहीं की मेरी प्यास मिटा सके !
ये सून के तो मेरा तो दिमाग काम करना बंद कर दिया लेकिन ख़ुशी भी हो रही थी की वो मेरे से इस भाषा में बात कर रही है मैं कुछ नहीं बोला और सोचा की साली मादरचोद को एसा चोदुंगा की वो याद रखेगी इसका लंड है की क्या है? अब सीधा दो दिन पहले की बात बताता हूँ!
शनिवार के 2बज रहे थे हम आफिस बंद कर रहे थे की अचानक एक मीटिंग आ गयी और आफिस में मैं , लीला और हमारा आफिसर हम तीन लोग ही थे मैंने लीला को रोक लिया कहा की एक घंटे के बाद चले जाना और चार बजे मीटिंग खत्म हो गयी हमारा आफिसर जज चुका था अब मैं और लीला हम दो ही लोग बचे थे लीला आफिस बंद कर रही थी मैंने सीचा की इससे अच्छा मौक़ा हैं ही नहीं लीला ने सभी के केबिन लाक कर दिया था मैं जिस केबिन में था वो सिर्फ खुला था , लीला मेरे पास आई और कहाँ "घर नहीं जाना है क्या ?'' मैंने उसका हाथ पकड़ लिया खीच कर अपनी बाहों में जकड लिया और कहा "घर जाके मैं क्या करुगा मुझे जो चाहिए वो तो यहाँ है ''
लीला- (मुस्कुराते हुए) तू आज पागल तो नहीं हो गया है ?
मैं- हाँ तुने उस दिन क्या कहा था ? मेरे लंड का आज इम्तिहान है !
कहते हुए दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया उसे सोफे पे लिटा कर कीस्स् करने लगा और मेरा एक हाथ उसकी साडी में पेटीकोट के अन्दर दाल के उसकी चुत सहलाने लगा जब तक वो गीली नहीं हो गयी, अब मैंने ज्यादा समय न लेते हुए उसकी साडी उतारना शुरू कर दिया मैंने जल्दी उसे साडी से आजाद कर दिया अब वो केवल काले रंग की पैंटी और ब्रा में थी ऊपर से उसका गोरा गोरा कसा हुआ जिस्म मेरा लंड पैंट के अन्दर ही तनतना रहा था !
लीला- मेरे तो सारे कपडे उतार दिया तू भी अपने सारे कपडे उतार !
मैं- इतनी जल्दी क्या हैं आज मैं तेरे को अपने लड़ का जोर दिखाउगा !
लीला- देखती हूँ ना,
अब मैंने भी अपने सारे कपडे उतार दिया और अन्डर्वेअर भी उतार दिया मेरा 6.5 इंच का लंड जैसे ही निकाला लिली बोली ''अरे बाप रे इतना ऐसा लंड तो मेरी चुत फाड़ देंगा तू शक्ल से शरीफ जैसा दिखता हैं '' मैंने कहाँ इसे चुसो '' जैसे ही उसने मेरा लंड मूह में लिया आह क्या मजा आ रहा था ,लीला लालीपॉप की तरह मेरे लंड को चूसने लगी मैं समझ गया ये भी सेक्स करने माहिर और अनुभवी हैं ,फिर मैं खड़े खड़े ही उसकी ब्रा के हूक खोल दिया उसके दोनों मेमे मेरे सामने थे क्या मेमे थे गोरे गोरे हलके गुलाबी रंग के ,जो जरुरत स ज्यादा बड़े नहीं थे मैं उसकी मम्मो की चुस्सियो को मसलने लगा लीला को भरपूर मजा आने लगा था ! मैं भी लंड चुस्वाते हुए मजा ले रहा था दस मिनट के बाद मैंने उसके मूह में अपना लंड निकला और उसकी पैंटी उतारी उसकी डबलरोटी की जैसी फूली हुई चुत पे एक भी बाल नहीं थे लीला बोली "मेरे राजा आज ही साफ़ की है, देखते ही रहोगे या काम करोगे ऐसा तो नहीं की तुम्हे सब सिखाना पडेगा चलो अब शुरू हो जाओ'' मैंने कहा "इतनी जल्दी क्या हैं ? ये तो फोरप्ले का पहला ही पार्ट था अभी तो और बाकी हैं !'' अब हम दोनों पुरी तरह से नंगे थे मैंने उसके दोनों उभारो को सहलाने लगा और उसे लिटा के उसके ऊपर लेट गया और दोनों चुस्सी को मूह में लेकर चूसने लगा , अब लीला पूरी तरह से गरम हो गयी थी वो आह.... ह....ह.... आह.... ह.... ह.... करने लगी थी फिर मैं उसे किस् करने लग गया और अपनी ऊँगली उसकी चुत में डाल कर अन्दर बाहर करने लगा उसकी चुत पूरी तरह से गीली ही गयी थी दस मिनट के बाद लीला ने कहा "क्यों मुझे इतना तरसा रहें हो ? अब अपना लंड डालो और मेरी चुत फाड़ डालो " आह ..ह...ह.. अब बर्दाद्त नहीं हो रहा हैं "" लेकिन मैं कुछ और करना चाहता था अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए, मैंने अपना लंड उसके मूह डाल दिया और पागलो के जैसी मेरा लंड चुसने लगी थी मैंने भी उसकी चुत में अपनी ऊँगली डाल के चोदने लगा, वो अपनी चुत हिलाने लगी थी क्योकि अब उसके बर्दास्त के बाहर हो गया था !
अचानक लीला ने लंड चुसना छोड़ के मुझे सोफे पर ही लिटा दिया और वो मेरे ऊपर आ गई और मेरे लंड पे बैठ के आगे पीछे होने लगी वो अपनी चुत पूरी तरह स मेरे लंड घस रही थी उसके चुत के पानी से मेरा लंड गीला होने लगा था उसे चुदने का शायद जबरदस्त अनुभव होंगा ? वो आह. . आह. . कर रही थी अब मैं भी अपना लंड डालने के मुंड में था अब मैंने लीला को लिटा के उसकी टाँगे फैला दी और मैं उसकी दोनों टांगो के बीच बैठ के अपना लंड उसकी चुत के मूह पे रख दिया और उसके दोनों गोलों को पकड़ कर जोरदार शाट मारा , लीला चिल्लाने लगी! "" फाड़ दीया रे....साले. तुन तो... हलक ...तक ...पेल.. दिया...........रे .. आज तो मेरी चुत तो फाड़ ही डालेंगा "" मेरा लंड और उसकी चुत गीली होने की वजह से अन्दर तक मेरा लंड पहुच चुका था अब मैं जोर जोर से शाट मर रहा था ! मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से टकरा रहा था हम दोनो सेक्स का भरपूर मजा ले रहे थे, बीच बीच में लीला अपनी चुत उठा उठा धक्का मर रही थी वो मेरे शाट का मजा ले रही थी लीला बोली की "राज आह... ये बताओ की इतनी सी उम्र में ये सब कहा से सिखा वाकई आज किसी मर्द से मेरा सामना हुआ हैं आह .. आ. ओह इतना मजा पहले कभी नहीं आया " मैंने कहा "मेरी जान अभी तो बहुत कुछ जानना बाकी हैं " फीर दस मीनत के बाद मैंने उसकी दोनों टाँगे पकडके ऊपर की ओर उठाई और फैला के जोर जोर के धक्के दे रहा था वो कहने लगी "जानू बहोत मजा आ रहा है .. आह आह ..ओह .. फिर उसने अपने दोनों हाथो से मेरे बालो को पकडकर अपनी तरफ खीच लिया और कीस्स करने लगी , उसके दोनों गोले मेरे सीने से टकरा रहे थे मुझे भी बहो ही मजा आ रहा था अचानक लीला ने मुझे कास के पकड लिया और कहा "मैं झड़ने वाली हू मेरा पानी निकलनेवाला है,"
मैंने जिसकी कल्पना नहीं की थी वो हो रहा था मैं नहीं चाहता था की वो झड़े, मैंने अपना लंड उसकी चुत में से निकाल लिया और उसके मूह में डाल दीया फिर पांच मिनट के बाद सोफे पर ही मैंने उसे घोड़ी बना दिया और उसके पीछे आकर उसकी लाल लाल गांड को पकडके चुत में अपना लंड डाला और शुरू हो गया मैं और बीच बिच में वो आगे पीछे हो के मजा ले रही थी ओह ..ओह.. ''तू क्या मजा दे रहा हैं रे मैं तो खुश हो गई' आज उसे मुझे कुछ कर दिखाना था दस पंधरा मिनट के बाद लगा की अब मैं झड जाउंगा मैंने फिर अपना लंड निकाल लिया और उसे सोफे पे लिटा दिया मैं उसके ऊपर आया और उसकी दोनों को उठा के उसके सीने से सटाकर लगा दिया और उसे दोनों हाथो से पकड़ा दिया लीला बोली "मैंने आज तक इतना देर तक कभी नहीं चुदवाया तुने तो आज मेरी चुत क्र बारह बजा दिए"! मैंने कहा तू मेरे लंड का इम्तेहान लेना चाहती थी न ?"
लीला को उसी मुद्रा में थी उसकी चुत पूरी लाल हो गई थी मैंने उसकी चुत पे अपना लंड रखा और दनदनाता हुआ शाट मारा उसके मूह से चीख निकल पड़ी "आह्ह्ह्हह माँ..... मर गई" और उसकी आँखों से आसू भी निकल आ गए मैंने उससे कहा "क्या तू पहली बार चुदवा रही है" मैं जनता था इस तरह रांडो की फटी हुई चुत को चोदने से रांड को भी दर्द होता हैं फीर लीला बोली "टी आज मुझे ज़िंदा जाने देंगा या नहीं मोरे सिया थोड़ा आराम से करो न" फिर मैं धीरे धीरे उसे चोदने लगा दस मिनट के बाद मैंने उसकी टाँगे सीधी कर के जोर जोर शुरू हो गया थोड़ी देर के बाद लीला ने कास के मुझे पकड़ लिया मैं समझ गया की अब इस कार्यक्रम समाप्त हो रहा हैं फिर मैंने उसके दोनों गोलओ को पकड़ा और अपनी गाती बड़ा दी थोड़ी देर में उसकी चुत में बाढ़ आ गई वो झड चुकी थी अब मैं भी झड़ने वाला था ,मैंने पूछा लीला "मैं अपना पानी कहा छोडू ?" वो बोली "मेरे सरताज मेरी चुत में अपना पानी छोड़ दो " थोड़ी देर के मैं भी अपना सारा पानी उसकी चुत में ही छोड़ दिया और उसके ऊपर लेट गया हम पसीने से भीग गए थे और हमारी तेज सासे धीरे धीरे नार्मल हो रही थी फिर हमने घड़ी दाखि तो शाम के आठ बज रहे थे !फिर मैंने उसे अपनी बाइक से घर छोड़ने जा रहा था रस्ते में लीला ने कहा "मैं आज के बाद तुमसे कभी भी ऐसी बात नहीं करूंगी आज मेरी चुत का तुमने तो भोसडा बना डाला, इतना तो मेरे पति भी नहीं चोदा होंगा ?'
सेक्सी बॉय
hiimsexyboy@gmail.com
मेरा नाम राज है मेरे बारे में तो आप सभी जानते ही होगे.
आप लोगो के लिये फिर गरमा गरम मनोरंजन के लिए हाजिर हूँ ! ये कहानी नहीं हकीकत हैं, यह बात सिर्फ दो दिन पहले की हैं !
मैं जिस ऑफिस में काम करता हूँ उस ऑफिस में मेरे साथ लीला नामकी एक लड़की भी काम करती है जिसकी उम्र ३५ साल है उसका फिगर पूरा कसा हुआ है उसका साइज 34-32-36 और साथ में सेक्सी भी हैं मैं जब भी उसे देखता तो मेरा मन उसे चोदने के बारे में ही सोचता रहता एक दो बार तो मैंने उसकी सीने पे हाथ भी फेर दिया था, और कभी कभी बात करते करते उसे छु भी लेता था! एक दिन तो उसे कह ही दिया "लीला तुम बहुत ही सेक्सी लगती हो एक बार तो मैं तुम्हे चोदना चाहता हूँ ''
लीला -तेरे लंड में उतना जोर ही नहीं की मेरी प्यास मिटा सके !
ये सून के तो मेरा तो दिमाग काम करना बंद कर दिया लेकिन ख़ुशी भी हो रही थी की वो मेरे से इस भाषा में बात कर रही है मैं कुछ नहीं बोला और सोचा की साली मादरचोद को एसा चोदुंगा की वो याद रखेगी इसका लंड है की क्या है? अब सीधा दो दिन पहले की बात बताता हूँ!
शनिवार के 2बज रहे थे हम आफिस बंद कर रहे थे की अचानक एक मीटिंग आ गयी और आफिस में मैं , लीला और हमारा आफिसर हम तीन लोग ही थे मैंने लीला को रोक लिया कहा की एक घंटे के बाद चले जाना और चार बजे मीटिंग खत्म हो गयी हमारा आफिसर जज चुका था अब मैं और लीला हम दो ही लोग बचे थे लीला आफिस बंद कर रही थी मैंने सीचा की इससे अच्छा मौक़ा हैं ही नहीं लीला ने सभी के केबिन लाक कर दिया था मैं जिस केबिन में था वो सिर्फ खुला था , लीला मेरे पास आई और कहाँ "घर नहीं जाना है क्या ?'' मैंने उसका हाथ पकड़ लिया खीच कर अपनी बाहों में जकड लिया और कहा "घर जाके मैं क्या करुगा मुझे जो चाहिए वो तो यहाँ है ''
लीला- (मुस्कुराते हुए) तू आज पागल तो नहीं हो गया है ?
मैं- हाँ तुने उस दिन क्या कहा था ? मेरे लंड का आज इम्तिहान है !
कहते हुए दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया उसे सोफे पे लिटा कर कीस्स् करने लगा और मेरा एक हाथ उसकी साडी में पेटीकोट के अन्दर दाल के उसकी चुत सहलाने लगा जब तक वो गीली नहीं हो गयी, अब मैंने ज्यादा समय न लेते हुए उसकी साडी उतारना शुरू कर दिया मैंने जल्दी उसे साडी से आजाद कर दिया अब वो केवल काले रंग की पैंटी और ब्रा में थी ऊपर से उसका गोरा गोरा कसा हुआ जिस्म मेरा लंड पैंट के अन्दर ही तनतना रहा था !
लीला- मेरे तो सारे कपडे उतार दिया तू भी अपने सारे कपडे उतार !
मैं- इतनी जल्दी क्या हैं आज मैं तेरे को अपने लड़ का जोर दिखाउगा !
लीला- देखती हूँ ना,
अब मैंने भी अपने सारे कपडे उतार दिया और अन्डर्वेअर भी उतार दिया मेरा 6.5 इंच का लंड जैसे ही निकाला लिली बोली ''अरे बाप रे इतना ऐसा लंड तो मेरी चुत फाड़ देंगा तू शक्ल से शरीफ जैसा दिखता हैं '' मैंने कहाँ इसे चुसो '' जैसे ही उसने मेरा लंड मूह में लिया आह क्या मजा आ रहा था ,लीला लालीपॉप की तरह मेरे लंड को चूसने लगी मैं समझ गया ये भी सेक्स करने माहिर और अनुभवी हैं ,फिर मैं खड़े खड़े ही उसकी ब्रा के हूक खोल दिया उसके दोनों मेमे मेरे सामने थे क्या मेमे थे गोरे गोरे हलके गुलाबी रंग के ,जो जरुरत स ज्यादा बड़े नहीं थे मैं उसकी मम्मो की चुस्सियो को मसलने लगा लीला को भरपूर मजा आने लगा था ! मैं भी लंड चुस्वाते हुए मजा ले रहा था दस मिनट के बाद मैंने उसके मूह में अपना लंड निकला और उसकी पैंटी उतारी उसकी डबलरोटी की जैसी फूली हुई चुत पे एक भी बाल नहीं थे लीला बोली "मेरे राजा आज ही साफ़ की है, देखते ही रहोगे या काम करोगे ऐसा तो नहीं की तुम्हे सब सिखाना पडेगा चलो अब शुरू हो जाओ'' मैंने कहा "इतनी जल्दी क्या हैं ? ये तो फोरप्ले का पहला ही पार्ट था अभी तो और बाकी हैं !'' अब हम दोनों पुरी तरह से नंगे थे मैंने उसके दोनों उभारो को सहलाने लगा और उसे लिटा के उसके ऊपर लेट गया और दोनों चुस्सी को मूह में लेकर चूसने लगा , अब लीला पूरी तरह से गरम हो गयी थी वो आह.... ह....ह.... आह.... ह.... ह.... करने लगी थी फिर मैं उसे किस् करने लग गया और अपनी ऊँगली उसकी चुत में डाल कर अन्दर बाहर करने लगा उसकी चुत पूरी तरह से गीली ही गयी थी दस मिनट के बाद लीला ने कहा "क्यों मुझे इतना तरसा रहें हो ? अब अपना लंड डालो और मेरी चुत फाड़ डालो " आह ..ह...ह.. अब बर्दाद्त नहीं हो रहा हैं "" लेकिन मैं कुछ और करना चाहता था अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए, मैंने अपना लंड उसके मूह डाल दिया और पागलो के जैसी मेरा लंड चुसने लगी थी मैंने भी उसकी चुत में अपनी ऊँगली डाल के चोदने लगा, वो अपनी चुत हिलाने लगी थी क्योकि अब उसके बर्दास्त के बाहर हो गया था !
अचानक लीला ने लंड चुसना छोड़ के मुझे सोफे पर ही लिटा दिया और वो मेरे ऊपर आ गई और मेरे लंड पे बैठ के आगे पीछे होने लगी वो अपनी चुत पूरी तरह स मेरे लंड घस रही थी उसके चुत के पानी से मेरा लंड गीला होने लगा था उसे चुदने का शायद जबरदस्त अनुभव होंगा ? वो आह. . आह. . कर रही थी अब मैं भी अपना लंड डालने के मुंड में था अब मैंने लीला को लिटा के उसकी टाँगे फैला दी और मैं उसकी दोनों टांगो के बीच बैठ के अपना लंड उसकी चुत के मूह पे रख दिया और उसके दोनों गोलों को पकड़ कर जोरदार शाट मारा , लीला चिल्लाने लगी! "" फाड़ दीया रे....साले. तुन तो... हलक ...तक ...पेल.. दिया...........रे .. आज तो मेरी चुत तो फाड़ ही डालेंगा "" मेरा लंड और उसकी चुत गीली होने की वजह से अन्दर तक मेरा लंड पहुच चुका था अब मैं जोर जोर से शाट मर रहा था ! मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से टकरा रहा था हम दोनो सेक्स का भरपूर मजा ले रहे थे, बीच बीच में लीला अपनी चुत उठा उठा धक्का मर रही थी वो मेरे शाट का मजा ले रही थी लीला बोली की "राज आह... ये बताओ की इतनी सी उम्र में ये सब कहा से सिखा वाकई आज किसी मर्द से मेरा सामना हुआ हैं आह .. आ. ओह इतना मजा पहले कभी नहीं आया " मैंने कहा "मेरी जान अभी तो बहुत कुछ जानना बाकी हैं " फीर दस मीनत के बाद मैंने उसकी दोनों टाँगे पकडके ऊपर की ओर उठाई और फैला के जोर जोर के धक्के दे रहा था वो कहने लगी "जानू बहोत मजा आ रहा है .. आह आह ..ओह .. फिर उसने अपने दोनों हाथो से मेरे बालो को पकडकर अपनी तरफ खीच लिया और कीस्स करने लगी , उसके दोनों गोले मेरे सीने से टकरा रहे थे मुझे भी बहो ही मजा आ रहा था अचानक लीला ने मुझे कास के पकड लिया और कहा "मैं झड़ने वाली हू मेरा पानी निकलनेवाला है,"
मैंने जिसकी कल्पना नहीं की थी वो हो रहा था मैं नहीं चाहता था की वो झड़े, मैंने अपना लंड उसकी चुत में से निकाल लिया और उसके मूह में डाल दीया फिर पांच मिनट के बाद सोफे पर ही मैंने उसे घोड़ी बना दिया और उसके पीछे आकर उसकी लाल लाल गांड को पकडके चुत में अपना लंड डाला और शुरू हो गया मैं और बीच बिच में वो आगे पीछे हो के मजा ले रही थी ओह ..ओह.. ''तू क्या मजा दे रहा हैं रे मैं तो खुश हो गई' आज उसे मुझे कुछ कर दिखाना था दस पंधरा मिनट के बाद लगा की अब मैं झड जाउंगा मैंने फिर अपना लंड निकाल लिया और उसे सोफे पे लिटा दिया मैं उसके ऊपर आया और उसकी दोनों को उठा के उसके सीने से सटाकर लगा दिया और उसे दोनों हाथो से पकड़ा दिया लीला बोली "मैंने आज तक इतना देर तक कभी नहीं चुदवाया तुने तो आज मेरी चुत क्र बारह बजा दिए"! मैंने कहा तू मेरे लंड का इम्तेहान लेना चाहती थी न ?"
लीला को उसी मुद्रा में थी उसकी चुत पूरी लाल हो गई थी मैंने उसकी चुत पे अपना लंड रखा और दनदनाता हुआ शाट मारा उसके मूह से चीख निकल पड़ी "आह्ह्ह्हह माँ..... मर गई" और उसकी आँखों से आसू भी निकल आ गए मैंने उससे कहा "क्या तू पहली बार चुदवा रही है" मैं जनता था इस तरह रांडो की फटी हुई चुत को चोदने से रांड को भी दर्द होता हैं फीर लीला बोली "टी आज मुझे ज़िंदा जाने देंगा या नहीं मोरे सिया थोड़ा आराम से करो न" फिर मैं धीरे धीरे उसे चोदने लगा दस मिनट के बाद मैंने उसकी टाँगे सीधी कर के जोर जोर शुरू हो गया थोड़ी देर के बाद लीला ने कास के मुझे पकड़ लिया मैं समझ गया की अब इस कार्यक्रम समाप्त हो रहा हैं फिर मैंने उसके दोनों गोलओ को पकड़ा और अपनी गाती बड़ा दी थोड़ी देर में उसकी चुत में बाढ़ आ गई वो झड चुकी थी अब मैं भी झड़ने वाला था ,मैंने पूछा लीला "मैं अपना पानी कहा छोडू ?" वो बोली "मेरे सरताज मेरी चुत में अपना पानी छोड़ दो " थोड़ी देर के मैं भी अपना सारा पानी उसकी चुत में ही छोड़ दिया और उसके ऊपर लेट गया हम पसीने से भीग गए थे और हमारी तेज सासे धीरे धीरे नार्मल हो रही थी फिर हमने घड़ी दाखि तो शाम के आठ बज रहे थे !फिर मैंने उसे अपनी बाइक से घर छोड़ने जा रहा था रस्ते में लीला ने कहा "मैं आज के बाद तुमसे कभी भी ऐसी बात नहीं करूंगी आज मेरी चुत का तुमने तो भोसडा बना डाला, इतना तो मेरे पति भी नहीं चोदा होंगा ?'
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मनिषाचे कॊमार्य
मी त्यावेळी २६ वर्षाचा होतो आणि एका सोफ्ट्वेअर कंपनीत कामाला होतो. मी खुप पोरींना ठोकलं आहे. पण आज मी तुम्हाला गोष्ट सांगणार आहे ती मनिषाची.
दिवाळीच्या सुट्ट्या चालु होत्या. मला ब्लू फ़िल्म्स बघायचा खूप नाद होता. अशाच एका सुट्टीच्या दिवशी ऒफ़िस मधे संध्याकाळी मी एका कोवळ्या पोरीला एक जण लागतोय अशी फ़िल्म पहात होतो. कोवळ्या पोरीचे कोवळे अंग-प्रत्यांग बघुन माझा बाबुराव फ़ुल ताठला. फ़िल्म संपल्यावर बाथरुम मधे जाउन मुठ्ठी मारुन परत जागेवर येउन बसलो. तरी मनाची शांती काही होइना.
आमचे आफ़िस तसे मोठे होते. म्हणजे त्याला सर्व बाजुनी खुप खिडक्या होत्या. मी वैतागुन एका खिडकीपाशी आलो. तेवढ्यात माझी नजर समोरच्या बिल्डींगच्या गच्चीत पडली.
समोर एक विद्यार्थ्यांचे वसतीगृह आहे. त्याच्या मालकाची ११-१२ वर्षाची मुलगी नुकतीच आंघोळ करुन केस वाळवायला आली होती. त्या कोवळ्या पोरीला पाहून माझा लंड एकदम ताठला.
ती पण माझ्याकडे बघुन मंदपणे ह्सत होती. तशी ती गेले ४ महीने माझ्याकडे बघून ह्सत होती. पण मी कधी तिला प्रतिसाद दिला नव्ह्ता.
पण आजची गोष्ट वेगळी होती. आता एखाद्या कोवळ्या पोरीला ठोकल्याशिवाय काही माझा बाबुराव शांत होणार नव्हता आणि माझी दिवाळी पण साजरी होणार नव्हती.
त्यामुळे मी पण तिला हसून प्रतिसाद दिला.
मला हसताना पाहून ती चपापली आणि लाजली पण. तिला बहुतेक माझ्या प्रतिसादाची अपेक्षा नसावी. मग तिला मी खुणेनेच तिचे केस मोकळे सोडायला लावले. तिनेपण मला तिचे केस मोकळे सोडून दाखवले. आईशपथ काय सोलिड दिसत होती ती. तिला मी पटवायचे ठरवले.
जेव्हा मी हे ठरवले तेव्हा मला कल्पना देखिल नव्हती की आजच मी हिला ठोकू शकेल.
मग तिनेच पुढाकार घेउन माझ्याशी संपर्क केला.
मला खुणावुन खाली बोलावले. आमचे ऒफ़िस पाचव्या मजल्यावर होते. मी लिफ़्ट्ने खाली आलो तर ती पण त्यांच्या दरवाज्यापाशी उभी होती. तिने तिच्या लहान भावाबरोबर एक चिठ्ठी पाठवलेली होती.
ती चिठ्ठी घेउन मी वर आलो. त्यात तिने लिहिले होते "आय लव्ह यु" आणि तिचा फ़ोन नं. दिला होता.
मी लगेच तिला फ़ोन केला. फ़ोन घेताच म्हणाली "मला तुझ्याशिवाय करमत नाही. माझे तुझ्यावर खुप खुप प्रेम आहे. तु मला मिळाला नाहीस तर मी जगू शकणार नाही."
एका कोवळ्या वयातील कोवळ्या मुलीचे निरागस प्रेम होते ते. अर्थातच माझा कार्यभाग लवकरच साधला जाणार होता त्यामुळे. आंधळा मागतो एक डोळा अन देव देतो दोन.
मी ऒफ़िसमधे एकटाच होतो. त्यामुळे मी तिला म्हट्ले वर येतीस का?
मी असे म्हणताच तिला काय आनन्द झाला म्हणून सांगू. ती लगेच म्हणाली " लगेच येते मी. माझे आई - बाबा कालच मावशीच्या मुलीच्या लग्नाला गावाला गेले आहेत आणि मला वसतीगृह संभाळायला सांगितले आहे."
मग फ़ोन ठेउन मी तिची वाट पाहू लागलो.
दहा मिनिटांनी ती वर आली. काय झकास दिसत होती मनिषा.
मी सांगितल्याप्रमाणे केस मोकळे सोडुन आली होती ती. आणि एक फ़्रॊक घातला होता.
डायरेक्ट तिच्या पुच्चीत घुसण्याच्या दृष्टीने खुपच सोयीचा ड्रेस होता तो.
ती येताच मी तिला मिठीत घेउन आय लव्ह यु म्हणालो व तिच्या ओठांवर ओठ टेकवुन एक रसरशीत चुंबन घेतले. तिला अशा गोष्टींची सवय नव्ह्ती. त्यामुळे लगेच माझ्या हातून सुटायची धडपड करु लागली. मला याची कल्पना असल्यामुळे तिला जोरात आवळून पाच मिनिटे तिचे तसेच चुंबन घेत राहीलो. पाच मिनिटांनी मी तिला सोडले तेव्हा ती डोळे मिटुन पुर्ण नशेत होती.
मी ऒफ़िसचे दार आतुन लावुन तिला तसेच आतल्या खोलीत नेले.
मग खाली बसवुन तिला किस करत तिचे छोटेसे स्तन दाबु लागलो. त्याने ती अजुनच पेटली.
मग मी हळुच तिच्या फ़्रॊकमधुन हात घालुन तिच्या लक्शात यायच्या आधी तिच्या पुच्चीत माझे बोट खुपसले. तिने माझा हात पकडला पण तोपर्यंत उशीर झाला होता. मनिषा फ़ुल पेटली होती.
तिने मला फ़क्त विचारले "हेच प्रेम असते का?" मी म्हणालो हेच सुख तर प्रत्येक प्रेमिकाला हवे असते
"मग मला भरपूर सुख दे माझ्या राजा." असे म्हणुन ती डोळे मिटुन सुखात बुडु लागली.
तिने माझा हात तसाच पकडून ठेवला होता. पण ती विरोध करत नव्हती.
हळू हळू मी तिला पूर्ण नागडी केली. मी पण माझे सगळे कपडे काढून टाकले.
तिला हात लावताच मला कळाले होते की ती वर्जिन आहे. मला तर घबाड मिळाल्यासारखा आनंद झाला होता.मी फ़ुल फ़ॊर्म मधे सुरु झालो.
तिच्यावर आडवा होऊन मी तिला किस करत होतो. हळू हळू ती जास्त पेटल्यामुळे उसासे देवु लागली.
"आआआ.........उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म........स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"
मी पण पेटलो होतो. खरे तर कोवळ्या पोरीला ठोकायचे या कल्पनेनेच मला कंट्रोल होत नव्ह्ते.
पण हातात आलेल्या कच्च्या कळीचा मी पूर्ण आस्वाद घेत उपभोग घेणार होतो.
अशी संधी सारखी थोडीच येते?
मग मी तिला माझ्या मांडीवर बसवले. ती खाली बघत होती. तिचा सगळा चेहरा तिच्या केसांत झाकला गेला होता. मी हळूच तिचे केस बाजूला केले. आणि तिच्या हनुवटीला बोटाने वर केले.
मी तिच्याकडे पाहातच राहीलो. ती इतकी सुंदर दिसत होती की एक सेकंद मी माझे उद्दीष्ट विसरलो होतो.
मग मनिषाच म्हणाली... "माझ्या राजा फक्त बघतच राहणार आहेस की मला प्रेम पण देणार आहेस? "
मग मात्र मी लगेच भानावर आलो. तिला म्हणालो - " डार्लिंग तुझ्याइतकी सुंदर मुलगी आजपर्यंत मी पाहीली नाही. तू बघच आता, मी तुला किती सुख देतो ते.
असे म्हणून मी तिचा हात हातात घेउन माझ्या लंडला लावला. तिने एकदम करंट बसल्यासारखा हात मागे घेतला. मला मात्र हे नविन नव्हते. माझ्याखाली झोपलेल्या प्रत्येक मुलीची वा बाईची अशीच अवस्था व्हायची. माझा लंड होताच तितका दणकट आणि राकट. नऊ इंच लांब आणि तीन इंच जाड माझा लंड बघुन अनुभवी स्त्रियांनादेखील घाम फ़ुटायचा. मला अजुनही आठवते आहे की मी श्वेताच्या पुच्चीची कशी वाट लावली होती ते. ती एक वेगळी स्टोरी आहे. नंतर कधीतरी तुम्हाला सांगेन.
आज मात्र फक्त मनिषाची गोष्ट सांगणार आहे.
तिने विचारले, "मी तुझे हे धारदार हत्यार सहन करू शकेल का रे?"
"मी - तुला माझे प्रेम हवे आहे का?"
ती - "त्यासाठीच तर मी धावत आले ना माझ्या राजा?"
मी - "मग हो तयार...."
तर मनिषाच्या पुच्चीवर भरपुर केसं होती आणि माझा लंड मात्र एकदम सफ़ाचट होता कारण मी नेहमीच तयारीत असायचो.
मी मनिषावर आडवा झालो. तिचे छोटेसे स्तन दाबत , चोखत मी तिला अजुन गरम करु लागलो.
मी हळूच माझे मधले बोट तिच्या पुच्चीत खुपसले तर ते एकदम सरऽऽऽऽऽऽऽऽऽकन आत गेले. ती खुपच पेटली होती आणि आता अजून वेळ गमावण्यात काही अर्थ नव्हता.
मनिषा पूर्ण गरम झाल्याची खात्री होताच मग मी माझा लंड तिच्या पुच्चीला लावला. माझ्या लवडयाची सुपारी तिच्या पुच्चीच्या दरवाजावर दस्तक देऊ लागली. तिचे उसासे वाढु लागले. "आऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽह"
दोन - तीन मिनिटे हा खेळ खेळल्यावर हळूच मी माझी सुपारी तिच्या पुच्चीत खुपसली. तशी ती जोरात कळवळली - "आआआआईईईईईईई गऽऽऽऽऽऽऽऽ"
तिचा तो चित्कार ऎकून माझ्या अंगात एकदम नशा संचारली. मला खुप आनंद होत होता..
ती म्हणाली "मला खूप दुखत आहे प्लीज बाहेर काढ."
मी म्हणालो, "एवढयातच घाबरलीस? अजुन मी आत पण गेलो नाही. तुझी पहीली वेळ आहे मनिषा त्यामुळे जरा दुखेल. पण मला प्रतिकार करू नकोस. मग तुला जास्त त्रास होणार नाही.
माझ्यावर विश्वास ठेव."
तिने हलकेच मान हलवून मूक संमती दिली.
मला माहीत होते की ती माझा लंड झेलू शकणार नाही ते.
म्हणून मी ती आता कितीही ओरडली तरी तिचे न ऎकता तिला एकदम हार्ड ठोकायचे ठरवले.
मग मी तिचे एक घट्ट चुंबन घेतले. आणि ती चुंबनरसात डुंबत असताना मी माझा लंड एकदम तिच्या पुच्चीत घुसवला....
एका सेकंदात माझा लवडा मनिषाच्या पुच्चीचा पडदा फाडून आत घुसला होता.
आता तिचे कॊमार्य भंग झाले होते.
ती एकदम ओरडू लागली, "आईऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽगंगंगंगंगं आआआआऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"
" मेले गंऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽहऽऽऽऽ"
आता मनिषा जोर जोरात रडू लागली होती. मला याची कल्पना होती त्यामुळे मी आमच्या ऒफिसच्या शेवटच्या रुम मधे नेले होते आणि दार पण लावले होते.
आणि शिवाय दिवाळी असल्याने बाहेर भरपूर फटाके उडत होते.
आणि इथे मी यॊवनाचा भरपूर दारूगोळा पेटवत होतो.
मी तिच्या पुच्चीत एन्ट्री केल्यावर थोडा वेळ तसाच थांबलो. आता मनिषापण थोडी शांत झाली होती.
ती अजुनही रडत होती आणि खूप वेदना तिच्या चेहर्यावर दिसत होत्या.
मी तिला विचारले," खूप दुखतयं का?"
"हो, मला नाही सहन होत हे." मुसमुसत ती म्हणाली.
"अजून फक्त दोन मिनिटे सहन कर मग बघ तुला पूर्ण प्रेमाचा आनंद मिळेल.तुला पुर्ण सुख हवे आहे ना?"
दोन सेकंद मनिषा विचार करुन जरा निश्चयाने म्हणाली "ठीक आहे. मी तयार आहे. आणि मी ओरडले तरी तु लक्श देऊ नकोस. मला पण बघायचे आहे की पूर्ण सुख काय असते ते... "
मग मात्र मी माझी गाडी थांबवली नाही. तिच्या संमतीने माझा हुरुप वाढला.
मी माझा लंड जोरात वर खाली करूय़ लागलो. मनिषा नुसती ओरडत होती,
"आआआआईईईईईईईईईई आआआआऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"
" दुखतयं रेऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"
"सोड रेऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"
"आआआआआआआआआआआआआऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"
मनिषा मला बोचकारत होती. तिच्या किंकाळ्यांमुळे मात्र मी अजूनच पेटलो.
मी जोरजोरात दणके देत होतो आणि मनिषा एकसारखी ऒरडत होती. पण मी मात्र लढतच होतो.
तिचे सगळे अंग थरथरत होते.
पण मी तिला ठोकतच होतो. ठोकतच होतो. ठोकतच होतो.
शेवटी अर्ध्या तासाने मी तिला जोरात आवळले आणि तिच्या पुच्चीत खोलवर माझा लंड घुसवून झडलो. पाच मिनिटे तसाच पडून राहीलो. मग मनिषाकडे पाहीले. तर ती पूर्ण बेशुद्ध पडली होती.
मी तिला थोपटले. पाच मिनीटांच्या प्रयत्नानंतर ती शुद्धीवर आली.
मी विचारले, "तू ठिक आहेस का?"
मनिषात बोलण्याचेपण त्राण शिल्लक नव्हते. तिने फक्त डोळ्यांनीच उत्तर दिले. मी हळूच तिच्या ओठांवर ओठ टेकवले. तिनेही प्रतिसाद दिला.
नंतर एक तासाने जेव्हा ती ओके झाली तेव्हा मी विचारले " मने तुला हवे ते सुख मिळाले का?"
ती म्हणाली, " मी जवळ जवळ मेले होते. पण दोन सेकंदांसाठी जे सुख मला तू दिले त्याची सर कशालाच येणार नाही."
नंतर बराच वेळ आम्ही बोलत होतो. मग ती घरी गेली.
नंतर अजुन दोन आठवडयाने तिला मी पुन्हा झवले. तेव्हाही अशीच चित्कारत होती ती.
पहिल्या अनुभवातून झालेली तिच्या शरीराची झीज भरून यायला पूर्ण एक आठवडा लागला.
आता तिची चाल पण बदललेली होती.
जेव्हा ती चालत असे तेव्हा एकदम चित्तवेधकपणे तिची गांड आपोआप डोलू लागायची.
ते बघून खूप मुले तिच्या मागे लागली होती. पण ती कोणाकडेच गेली नाही.
का जावे? तिच्या पुच्चीची पुर्ण वाट लावायला माझा लंड समर्थ होता ना.
आमचे प्रेम प्रकरण जवळ जवळ ४ वर्षे चालू होते. मनिषाला झवण्यात जो आनंद मला मिळाला तसा आत्तापर्यंत मला कधीच मिळाला नव्हता.
तर मित्रांनो, अशा रितीने माझी दिवाळी एकदम दणक्यात साजरी झाली. तुमची कशी झाली?
Sexy Boy
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दिवाळीच्या सुट्ट्या चालु होत्या. मला ब्लू फ़िल्म्स बघायचा खूप नाद होता. अशाच एका सुट्टीच्या दिवशी ऒफ़िस मधे संध्याकाळी मी एका कोवळ्या पोरीला एक जण लागतोय अशी फ़िल्म पहात होतो. कोवळ्या पोरीचे कोवळे अंग-प्रत्यांग बघुन माझा बाबुराव फ़ुल ताठला. फ़िल्म संपल्यावर बाथरुम मधे जाउन मुठ्ठी मारुन परत जागेवर येउन बसलो. तरी मनाची शांती काही होइना.
आमचे आफ़िस तसे मोठे होते. म्हणजे त्याला सर्व बाजुनी खुप खिडक्या होत्या. मी वैतागुन एका खिडकीपाशी आलो. तेवढ्यात माझी नजर समोरच्या बिल्डींगच्या गच्चीत पडली.
समोर एक विद्यार्थ्यांचे वसतीगृह आहे. त्याच्या मालकाची ११-१२ वर्षाची मुलगी नुकतीच आंघोळ करुन केस वाळवायला आली होती. त्या कोवळ्या पोरीला पाहून माझा लंड एकदम ताठला.
ती पण माझ्याकडे बघुन मंदपणे ह्सत होती. तशी ती गेले ४ महीने माझ्याकडे बघून ह्सत होती. पण मी कधी तिला प्रतिसाद दिला नव्ह्ता.
पण आजची गोष्ट वेगळी होती. आता एखाद्या कोवळ्या पोरीला ठोकल्याशिवाय काही माझा बाबुराव शांत होणार नव्हता आणि माझी दिवाळी पण साजरी होणार नव्हती.
त्यामुळे मी पण तिला हसून प्रतिसाद दिला.
मला हसताना पाहून ती चपापली आणि लाजली पण. तिला बहुतेक माझ्या प्रतिसादाची अपेक्षा नसावी. मग तिला मी खुणेनेच तिचे केस मोकळे सोडायला लावले. तिनेपण मला तिचे केस मोकळे सोडून दाखवले. आईशपथ काय सोलिड दिसत होती ती. तिला मी पटवायचे ठरवले.
जेव्हा मी हे ठरवले तेव्हा मला कल्पना देखिल नव्हती की आजच मी हिला ठोकू शकेल.
मग तिनेच पुढाकार घेउन माझ्याशी संपर्क केला.
मला खुणावुन खाली बोलावले. आमचे ऒफ़िस पाचव्या मजल्यावर होते. मी लिफ़्ट्ने खाली आलो तर ती पण त्यांच्या दरवाज्यापाशी उभी होती. तिने तिच्या लहान भावाबरोबर एक चिठ्ठी पाठवलेली होती.
ती चिठ्ठी घेउन मी वर आलो. त्यात तिने लिहिले होते "आय लव्ह यु" आणि तिचा फ़ोन नं. दिला होता.
मी लगेच तिला फ़ोन केला. फ़ोन घेताच म्हणाली "मला तुझ्याशिवाय करमत नाही. माझे तुझ्यावर खुप खुप प्रेम आहे. तु मला मिळाला नाहीस तर मी जगू शकणार नाही."
एका कोवळ्या वयातील कोवळ्या मुलीचे निरागस प्रेम होते ते. अर्थातच माझा कार्यभाग लवकरच साधला जाणार होता त्यामुळे. आंधळा मागतो एक डोळा अन देव देतो दोन.
मी ऒफ़िसमधे एकटाच होतो. त्यामुळे मी तिला म्हट्ले वर येतीस का?
मी असे म्हणताच तिला काय आनन्द झाला म्हणून सांगू. ती लगेच म्हणाली " लगेच येते मी. माझे आई - बाबा कालच मावशीच्या मुलीच्या लग्नाला गावाला गेले आहेत आणि मला वसतीगृह संभाळायला सांगितले आहे."
मग फ़ोन ठेउन मी तिची वाट पाहू लागलो.
दहा मिनिटांनी ती वर आली. काय झकास दिसत होती मनिषा.
मी सांगितल्याप्रमाणे केस मोकळे सोडुन आली होती ती. आणि एक फ़्रॊक घातला होता.
डायरेक्ट तिच्या पुच्चीत घुसण्याच्या दृष्टीने खुपच सोयीचा ड्रेस होता तो.
ती येताच मी तिला मिठीत घेउन आय लव्ह यु म्हणालो व तिच्या ओठांवर ओठ टेकवुन एक रसरशीत चुंबन घेतले. तिला अशा गोष्टींची सवय नव्ह्ती. त्यामुळे लगेच माझ्या हातून सुटायची धडपड करु लागली. मला याची कल्पना असल्यामुळे तिला जोरात आवळून पाच मिनिटे तिचे तसेच चुंबन घेत राहीलो. पाच मिनिटांनी मी तिला सोडले तेव्हा ती डोळे मिटुन पुर्ण नशेत होती.
मी ऒफ़िसचे दार आतुन लावुन तिला तसेच आतल्या खोलीत नेले.
मग खाली बसवुन तिला किस करत तिचे छोटेसे स्तन दाबु लागलो. त्याने ती अजुनच पेटली.
मग मी हळुच तिच्या फ़्रॊकमधुन हात घालुन तिच्या लक्शात यायच्या आधी तिच्या पुच्चीत माझे बोट खुपसले. तिने माझा हात पकडला पण तोपर्यंत उशीर झाला होता. मनिषा फ़ुल पेटली होती.
तिने मला फ़क्त विचारले "हेच प्रेम असते का?" मी म्हणालो हेच सुख तर प्रत्येक प्रेमिकाला हवे असते
"मग मला भरपूर सुख दे माझ्या राजा." असे म्हणुन ती डोळे मिटुन सुखात बुडु लागली.
तिने माझा हात तसाच पकडून ठेवला होता. पण ती विरोध करत नव्हती.
हळू हळू मी तिला पूर्ण नागडी केली. मी पण माझे सगळे कपडे काढून टाकले.
तिला हात लावताच मला कळाले होते की ती वर्जिन आहे. मला तर घबाड मिळाल्यासारखा आनंद झाला होता.मी फ़ुल फ़ॊर्म मधे सुरु झालो.
तिच्यावर आडवा होऊन मी तिला किस करत होतो. हळू हळू ती जास्त पेटल्यामुळे उसासे देवु लागली.
"आआआ.........उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म........स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"
मी पण पेटलो होतो. खरे तर कोवळ्या पोरीला ठोकायचे या कल्पनेनेच मला कंट्रोल होत नव्ह्ते.
पण हातात आलेल्या कच्च्या कळीचा मी पूर्ण आस्वाद घेत उपभोग घेणार होतो.
अशी संधी सारखी थोडीच येते?
मग मी तिला माझ्या मांडीवर बसवले. ती खाली बघत होती. तिचा सगळा चेहरा तिच्या केसांत झाकला गेला होता. मी हळूच तिचे केस बाजूला केले. आणि तिच्या हनुवटीला बोटाने वर केले.
मी तिच्याकडे पाहातच राहीलो. ती इतकी सुंदर दिसत होती की एक सेकंद मी माझे उद्दीष्ट विसरलो होतो.
मग मनिषाच म्हणाली... "माझ्या राजा फक्त बघतच राहणार आहेस की मला प्रेम पण देणार आहेस? "
मग मात्र मी लगेच भानावर आलो. तिला म्हणालो - " डार्लिंग तुझ्याइतकी सुंदर मुलगी आजपर्यंत मी पाहीली नाही. तू बघच आता, मी तुला किती सुख देतो ते.
असे म्हणून मी तिचा हात हातात घेउन माझ्या लंडला लावला. तिने एकदम करंट बसल्यासारखा हात मागे घेतला. मला मात्र हे नविन नव्हते. माझ्याखाली झोपलेल्या प्रत्येक मुलीची वा बाईची अशीच अवस्था व्हायची. माझा लंड होताच तितका दणकट आणि राकट. नऊ इंच लांब आणि तीन इंच जाड माझा लंड बघुन अनुभवी स्त्रियांनादेखील घाम फ़ुटायचा. मला अजुनही आठवते आहे की मी श्वेताच्या पुच्चीची कशी वाट लावली होती ते. ती एक वेगळी स्टोरी आहे. नंतर कधीतरी तुम्हाला सांगेन.
आज मात्र फक्त मनिषाची गोष्ट सांगणार आहे.
तिने विचारले, "मी तुझे हे धारदार हत्यार सहन करू शकेल का रे?"
"मी - तुला माझे प्रेम हवे आहे का?"
ती - "त्यासाठीच तर मी धावत आले ना माझ्या राजा?"
मी - "मग हो तयार...."
तर मनिषाच्या पुच्चीवर भरपुर केसं होती आणि माझा लंड मात्र एकदम सफ़ाचट होता कारण मी नेहमीच तयारीत असायचो.
मी मनिषावर आडवा झालो. तिचे छोटेसे स्तन दाबत , चोखत मी तिला अजुन गरम करु लागलो.
मी हळूच माझे मधले बोट तिच्या पुच्चीत खुपसले तर ते एकदम सरऽऽऽऽऽऽऽऽऽकन आत गेले. ती खुपच पेटली होती आणि आता अजून वेळ गमावण्यात काही अर्थ नव्हता.
मनिषा पूर्ण गरम झाल्याची खात्री होताच मग मी माझा लंड तिच्या पुच्चीला लावला. माझ्या लवडयाची सुपारी तिच्या पुच्चीच्या दरवाजावर दस्तक देऊ लागली. तिचे उसासे वाढु लागले. "आऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽह"
दोन - तीन मिनिटे हा खेळ खेळल्यावर हळूच मी माझी सुपारी तिच्या पुच्चीत खुपसली. तशी ती जोरात कळवळली - "आआआआईईईईईईई गऽऽऽऽऽऽऽऽ"
तिचा तो चित्कार ऎकून माझ्या अंगात एकदम नशा संचारली. मला खुप आनंद होत होता..
ती म्हणाली "मला खूप दुखत आहे प्लीज बाहेर काढ."
मी म्हणालो, "एवढयातच घाबरलीस? अजुन मी आत पण गेलो नाही. तुझी पहीली वेळ आहे मनिषा त्यामुळे जरा दुखेल. पण मला प्रतिकार करू नकोस. मग तुला जास्त त्रास होणार नाही.
माझ्यावर विश्वास ठेव."
तिने हलकेच मान हलवून मूक संमती दिली.
मला माहीत होते की ती माझा लंड झेलू शकणार नाही ते.
म्हणून मी ती आता कितीही ओरडली तरी तिचे न ऎकता तिला एकदम हार्ड ठोकायचे ठरवले.
मग मी तिचे एक घट्ट चुंबन घेतले. आणि ती चुंबनरसात डुंबत असताना मी माझा लंड एकदम तिच्या पुच्चीत घुसवला....
एका सेकंदात माझा लवडा मनिषाच्या पुच्चीचा पडदा फाडून आत घुसला होता.
आता तिचे कॊमार्य भंग झाले होते.
ती एकदम ओरडू लागली, "आईऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽगंगंगंगंगं आआआआऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"
" मेले गंऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽहऽऽऽऽ"
आता मनिषा जोर जोरात रडू लागली होती. मला याची कल्पना होती त्यामुळे मी आमच्या ऒफिसच्या शेवटच्या रुम मधे नेले होते आणि दार पण लावले होते.
आणि शिवाय दिवाळी असल्याने बाहेर भरपूर फटाके उडत होते.
आणि इथे मी यॊवनाचा भरपूर दारूगोळा पेटवत होतो.
मी तिच्या पुच्चीत एन्ट्री केल्यावर थोडा वेळ तसाच थांबलो. आता मनिषापण थोडी शांत झाली होती.
ती अजुनही रडत होती आणि खूप वेदना तिच्या चेहर्यावर दिसत होत्या.
मी तिला विचारले," खूप दुखतयं का?"
"हो, मला नाही सहन होत हे." मुसमुसत ती म्हणाली.
"अजून फक्त दोन मिनिटे सहन कर मग बघ तुला पूर्ण प्रेमाचा आनंद मिळेल.तुला पुर्ण सुख हवे आहे ना?"
दोन सेकंद मनिषा विचार करुन जरा निश्चयाने म्हणाली "ठीक आहे. मी तयार आहे. आणि मी ओरडले तरी तु लक्श देऊ नकोस. मला पण बघायचे आहे की पूर्ण सुख काय असते ते... "
मग मात्र मी माझी गाडी थांबवली नाही. तिच्या संमतीने माझा हुरुप वाढला.
मी माझा लंड जोरात वर खाली करूय़ लागलो. मनिषा नुसती ओरडत होती,
"आआआआईईईईईईईईईई आआआआऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"
" दुखतयं रेऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"
"सोड रेऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"
"आआआआआआआआआआआआआऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"
मनिषा मला बोचकारत होती. तिच्या किंकाळ्यांमुळे मात्र मी अजूनच पेटलो.
मी जोरजोरात दणके देत होतो आणि मनिषा एकसारखी ऒरडत होती. पण मी मात्र लढतच होतो.
तिचे सगळे अंग थरथरत होते.
पण मी तिला ठोकतच होतो. ठोकतच होतो. ठोकतच होतो.
शेवटी अर्ध्या तासाने मी तिला जोरात आवळले आणि तिच्या पुच्चीत खोलवर माझा लंड घुसवून झडलो. पाच मिनिटे तसाच पडून राहीलो. मग मनिषाकडे पाहीले. तर ती पूर्ण बेशुद्ध पडली होती.
मी तिला थोपटले. पाच मिनीटांच्या प्रयत्नानंतर ती शुद्धीवर आली.
मी विचारले, "तू ठिक आहेस का?"
मनिषात बोलण्याचेपण त्राण शिल्लक नव्हते. तिने फक्त डोळ्यांनीच उत्तर दिले. मी हळूच तिच्या ओठांवर ओठ टेकवले. तिनेही प्रतिसाद दिला.
नंतर एक तासाने जेव्हा ती ओके झाली तेव्हा मी विचारले " मने तुला हवे ते सुख मिळाले का?"
ती म्हणाली, " मी जवळ जवळ मेले होते. पण दोन सेकंदांसाठी जे सुख मला तू दिले त्याची सर कशालाच येणार नाही."
नंतर बराच वेळ आम्ही बोलत होतो. मग ती घरी गेली.
नंतर अजुन दोन आठवडयाने तिला मी पुन्हा झवले. तेव्हाही अशीच चित्कारत होती ती.
पहिल्या अनुभवातून झालेली तिच्या शरीराची झीज भरून यायला पूर्ण एक आठवडा लागला.
आता तिची चाल पण बदललेली होती.
जेव्हा ती चालत असे तेव्हा एकदम चित्तवेधकपणे तिची गांड आपोआप डोलू लागायची.
ते बघून खूप मुले तिच्या मागे लागली होती. पण ती कोणाकडेच गेली नाही.
का जावे? तिच्या पुच्चीची पुर्ण वाट लावायला माझा लंड समर्थ होता ना.
आमचे प्रेम प्रकरण जवळ जवळ ४ वर्षे चालू होते. मनिषाला झवण्यात जो आनंद मला मिळाला तसा आत्तापर्यंत मला कधीच मिळाला नव्हता.
तर मित्रांनो, अशा रितीने माझी दिवाळी एकदम दणक्यात साजरी झाली. तुमची कशी झाली?
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